नई दिल्ली: भारत ने हाल ही में एक सैन्य ऑपरेशन के दौरान ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जो वैश्विक रक्षा विशेषज्ञों के लिए अध्ययन का विषय बन गया है. "ऑपरेशन सिंदूर" के अंतर्गत भारतीय वायुसेना ने सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली S-400 का ऐसा सटीक और प्रभावशाली उपयोग किया, जिसकी मिसाल आज तक दुनिया में नहीं देखी गई. इस ऑपरेशन में 300 किलोमीटर दूर हवा में उड़ रहे पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमानों और एक एयरबॉर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) को सफलतापूर्वक मार गिराया गया.
इस कारवाई की पुष्टि स्वयं भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने की. बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने न केवल इस ऐतिहासिक मिशन का खुलासा किया, बल्कि इससे जुड़े तकनीकी सबूत भी सार्वजनिक रूप से साझा किए. एयरफोर्स चीफ ने इसे सतह से हवा में मार करने की अब तक की सबसे लंबी रेंज पर आधारित ऑपरेशन करार दिया.
दुनिया में पहली बार 300 किलोमीटर एयर डिफेंस हमला
भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह विश्व का पहला ज्ञात और दर्ज किया गया हमला है जिसमें किसी एयर डिफेंस सिस्टम ने 300 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद लक्ष्य को निशाना बनाया और नष्ट किया. विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्तर की लंबी दूरी की कार्रवाईयां आमतौर पर दर्ज नहीं होतीं या तो ऐसे हमलों की पुष्टि कर पाना तकनीकी रूप से कठिन होता है, या फिर सेनाएं इन क्षमताओं को रणनीतिक रूप से गोपनीय रखना चाहती हैं.
यह उपलब्धि सिर्फ तकनीकी कुशलता का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह भारतीय वायुसेना की रणनीतिक तैयारी, सटीक इंटेलिजेंस, और मिशन प्लानिंग की पराकाष्ठा को भी दर्शाती है. S-400 जैसी हाई-एंड डिफेंस सिस्टम का इस तरह से ऑपरेशनल उपयोग बेहद दुर्लभ है, विशेषकर इतनी लंबी दूरी पर प्रभावी परिणाम के साथ.
पाकिस्तानी रणनीति पर पड़ा जबरदस्त असर
S-400 की मौजूदगी ने न केवल दुश्मन के विमानों को सीमित किया, बल्कि उनके मनोबल को भी सीधे तौर पर प्रभावित किया. भारतीय वायुसेना अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान के फाइटर जेट्स अपनी लंबी दूरी की ग्लाइड बम तक लॉन्च नहीं कर पाए. वजह थी भारतीय एयर डिफेंस की वह अदृश्य दीवार, जो दुश्मन की हर संभावित चाल को पहले ही निष्क्रिय कर रही थी.
इन हालातों में, पाकिस्तान की वायु रणनीति निष्क्रिय होकर रह गई. वायुसेना के अधिकारियों ने साफ किया कि पाकिस्तान की वायुसेना S-400 के ऑपरेशनल रेंज में प्रवेश करने से बच रही थी, क्योंकि उन्हें इस बात का आभास हो गया था कि भारतीय मारक क्षमता तकनीकी और रणनीतिक दोनों ही स्तरों पर उनकी पहुंच से काफी आगे है.
स्वदेशी ताकत: आकाश और बराक-8 की भूमिका
हालांकि S-400 इस ऑपरेशन का मुख्य स्तंभ था, लेकिन यह ऑपरेशन भारत की समग्र वायु रक्षा प्रणाली का सम्मिलित प्रयास था. भारत में निर्मित आकाश मिसाइल सिस्टम और इज़राइली तकनीक पर आधारित बराक-8 MRSAM (मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल) ने भी इस सफलता में अहम भूमिका निभाई. यह दर्शाता है कि भारत अब केवल आयात पर निर्भर नहीं है, बल्कि उसकी स्वदेशी प्रणालियां भी अत्याधुनिक और विश्वसनीय हैं.
रूस ने जो नहीं किया, भारत ने कर दिखाया
यह गौर करने लायक है कि S-400 भले ही रूस द्वारा विकसित किया गया हो, लेकिन इतनी दूरी से सटीकता के साथ इसका प्रयोग रूस ने स्वयं कभी नहीं किया. उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान फरवरी 2024 में यूक्रेन ने एक रूसी A-50 अवाक्स विमान को 200 किलोमीटर की दूरी से मार गिराने का दावा किया था. वहीं रूस द्वारा 2022 में एक यूक्रेनी Su-27 फाइटर जेट को 150 किलोमीटर पर मारने की खबरें थीं.
भारत की 300 किलोमीटर की स्ट्राइक इस लिहाज से ऐतिहासिक बन जाती है. यह उपलब्धि रूस सहित दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञों के लिए चौंकाने वाली रही है, और यह दर्शाती है कि भारत सिर्फ हथियार खरीदने वाला देश नहीं है, बल्कि उन्हें रणनीतिक और उच्च दक्षता से इस्तेमाल करने की क्षमता भी रखता है.
S-400 की तैनाती और भविष्य की तैयारी
भारत ने रूस से कुल पांच S-400 सिस्टम्स का ऑर्डर दिया था, जिनमें से तीन पहले ही सक्रिय रूप से भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में तैनात किए जा चुके हैं. बाकी दो सिस्टम्स वर्ष 2025-26 तक भारत पहुँचने की उम्मीद है. इस प्रणाली की तैनाती से भारत की एयर डिफेंस क्षमता में गुणात्मक बढ़ोतरी हुई है और यह उसके "मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क" का एक प्रमुख हिस्सा बन चुका है.
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