भारत की अदृश्य ताकत, चीन-पाकिस्तान भी थर्रा उठेंगे; अब स्टार वॉर से बदलेगा युद्ध का पैटर्न

आज के आधुनिक युद्ध में ड्रोन एक नया चेहरा बन चुके हैं. ये न सिर्फ जासूसी कर सकते हैं, बल्कि हमला भी कर सकते हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: AI

नई दिल्लीः दुनिया में लड़ाई का तरीका पहले जैसा नहीं रहा. अब ताकत सिर्फ मिसाइलों या टैंकों से नहीं, बल्कि दिमाग, टेक्नोलॉजी और चालाकी से नापी जाती है. आने वाले समय में जो देश जंग जीतेंगे, उनके पास न केवल ताकतवर हथियार होंगे, बल्कि लड़ाई को एक नए तरीके से सोचने और लड़ने की क्षमता भी होगी.

पलभर में लेजर हथियार से खात्मा

एक सुबह चार बजे अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर कुछ अजीब हुआ. अचानक रडार स्क्रीन पर एक साथ पचास से ज्यादा चीजें दिखीं. पहले तो लगा ये फाइटर जेट्स या पक्षियों का झुंड होगा, लेकिन वो कुछ और ही निकला. ये थे दुश्मन के छोटे-छोटे ड्रोन, जो एक झुंड में उड़ते हुए भारत की तरफ आ रहे थे. इन ड्रोन का आकार किसी माइक्रोवेव ओवन जितना था, मगर इनका मकसद बहुत खतरनाक था – भारत के डिफेंस सिस्टम को भ्रमित करना और हमला करने की तैयारी करना.

लेकिन, भारत पहले से तैयार था. जैसे ही खतरा दिखा, भारत ने पलभर में लेजर हथियार से उन सभी ड्रोनों को हवा में ही खत्म कर दिया. न कोई धमाका हुआ, न कोई गोली चली – बस एक चमकदार रोशनी की किरण ने उन्हें जला दिया.

दरअसल, आज के आधुनिक युद्ध में ड्रोन एक नया चेहरा बन चुके हैं. ये न सिर्फ जासूसी कर सकते हैं, बल्कि हमला भी कर सकते हैं. ड्रोन से दुश्मन के संचार सिस्टम को जाम किया जा सकता है, हथियार गिराए जा सकते हैं और यहां तक कि आत्मघाती ड्रोन भी तैयार किए जा रहे हैं. जब इन्हें झुंड में भेजा जाता है, तो ये किसी भी एडवांस डिफेंस सिस्टम को धोखा दे सकते हैं.

लेजर हथियार को डायरेक्ट एनर्जी वीपन कहा जाता है

ऐसे में लेजर हथियार की अहमियत बहुत बढ़ जाती है. मिसाइलों की कीमत बहुत ज्यादा होती है और बंदूकों से ऐसे छोटे और तेज उड़ते ड्रोन को मारना लगभग नामुमकिन है. वहीं, लेजर हथियार बिना किसी आवाज और बारूद के काम कर सकते हैं. ये एक तेज़ रोशनी की किरण छोड़ते हैं जो ड्रोन के किसी कमजोर हिस्से जैसे उसकी बैटरी या मोटर पर लगती है, और सेकंडों में ड्रोन जलकर गिर जाता है.

लेजर हथियार को डायरेक्ट एनर्जी वीपन कहा जाता है. ये कोई भारी-भरकम मिसाइल नहीं, बल्कि एक सिस्टम होता है जिसमें बिजली से चलने वाला पावर सोर्स, सटीक दिशा में रोशनी भेजने वाला डिवाइस, लक्ष्य को पकड़ने वाला ट्रैकिंग सिस्टम और मशीन को ठंडा रखने का इंतजाम होता है. जब कोई खतरा पास आता है, तो ये सिस्टम तुरंत उसे पहचानता है, लॉक करता है और फिर उसकी कमज़ोर कड़ी पर तेज़ रोशनी छोड़ता है.

न कोई धमाका, न कोई शोर – बस एक गर्म चमकदार किरण निकलती है और सेकंडों में दुश्मन की चाल नाकाम हो जाती है. भारत अब इस तकनीक में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है और आने वाले समय में यह साफ हो गया है कि जंग जीतने के लिए अब जरूरी है तेज़ सोच, तेज़ टेक्नोलॉजी और तेज़ कार्रवाई.

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