तुर्की की हवा टाइट करेगा ग्रीस! भारतीय नौसेना शुरू कर रहा है ग्रीस के साथ पहला नौसैन्य अभ्यास

    दुनिया की बदलती राजनीतिक तस्वीर में अब गठबंधन, सिर्फ दोस्ती के लिए नहीं, बल्कि रणनीतिक दबाव और सुरक्षा समीकरणों के लिहाज़ से भी अहम हो चले हैं. पाकिस्तान, चीन और तुर्की की तिकड़ी लगातार भारत के खिलाफ भूराजनीतिक समीकरण बनाने में जुटी हुई है, वहीं भारत भी अपनी कूटनीतिक चालों से प्रभावशाली जवाब दे रहा है.

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    दुनिया की बदलती राजनीतिक तस्वीर में अब गठबंधन, सिर्फ दोस्ती के लिए नहीं, बल्कि रणनीतिक दबाव और सुरक्षा समीकरणों के लिहाज़ से भी अहम हो चले हैं. पाकिस्तान, चीन और तुर्की की तिकड़ी लगातार भारत के खिलाफ भूराजनीतिक समीकरण बनाने में जुटी हुई है, वहीं भारत भी अपनी कूटनीतिक चालों से प्रभावशाली जवाब दे रहा है.

    इसी कड़ी में भारत और ग्रीस के बीच 13 से 18 सितंबर 2025 तक पहला द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास शुरू हो रहा है. इसमें भारतीय नौसेना का वॉरशिप INS त्रिकंद हिस्सा लेगा. अब तक दोनों देश सीमित अभ्यास (Passex) करते रहे हैं, लेकिन अब यह सहयोग एक नई गहराई की ओर बढ़ रहा है.

    भारत-ग्रीस सहयोग: एक रणनीतिक संदेश

    भारत और ग्रीस के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग केवल सैन्य अभ्यास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश है उन देशों को, जो दक्षिण एशिया और यूरोप में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. हालिया सामरिक सहयोग Iniochos-25 (ग्रीस): भारत ने अपने Su-30, IL-78 और C-17 विमान भेजे. Tarang Shakti-24 (भारत): ग्रीस ने Eurofighter Typhoon के साथ हिस्सा लिया. Bright Star (मिस्र): INS त्रिकंद और Su-30MKI ने ग्रीस के साथ मिलकर अभ्यास किया. रक्षा सहयोग समझौता (2024): थल, वायु और नौसेना के बीच नियमित संवाद, खुफिया साझाकरण को लेकर पहली बार औपचारिक समझौता. हथियार प्रणाली में रुचि: ग्रीस ने ब्रह्मोस मिसाइल, लॉयटरिंग ड्रोन्स और क्रूज मिसाइलों में दिलचस्पी दिखाई है.

    ग्रीस का झुकाव क्यों अहम है?

    तुर्की और ग्रीस के बीच लंबे समय से समुद्री सीमा, वायु क्षेत्र और साइप्रस को लेकर गहरे मतभेद हैं. ऐसे में भारत के साथ ग्रीस का सैन्य सहयोग बढ़ना न केवल एक कूटनीतिक मजबूती है, बल्कि तुर्की के लिए चिंता की वजह भी. ग्रीस-तुर्की विवाद की झलक समुद्री सीमा: एजियन सागर में EEZ को लेकर मतभेद. वायु क्षेत्र: ग्रीस 10 नॉटिकल मील का दावा करता है, तुर्की 6 नॉटिकल मील ही मानता है. साइप्रस विवाद: 1974 में तुर्की ने उत्तरी साइप्रस पर कब्जा कर लिया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली. इस सैन्य अभ्यास को तुर्की के लिए एक कूटनीतिक झटका माना जा रहा है, खासकर तब जब वह खुद पाकिस्तान के साथ सामरिक गठबंधन को बढ़ावा दे रहा है.

    पाकिस्तान की परेशानी क्यों बढ़ी?

    तुर्की और पाकिस्तान के रिश्ते अब 'ऑल वेदर' से भी आगे 'ऑल वेपन' फ्रेंडशिप की शक्ल ले चुके हैं. तुर्की पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति, रक्षा तकनीक, ड्रोन सप्लाई और संयुक्त अभ्यास के जरिये सैन्य सहायता दे रहा है. तुर्की में आए भूकंप के बाद भारत ने भरपूर मदद भेजी, लेकिन फिर भी तुर्की पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा. पाकिस्तान ने भारत की भेजी गई राहत सामग्री पर अपना टैग लगाकर तुर्की भेजने की कोशिश कर अपनी फज़ीहत करवा ली. तुर्की के प्रसिद्ध Bayraktar TB2 ड्रोन, जिन्हें वह गर्व से प्रचारित करता है, उन्हें भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में एयर डिफेंस से ढेर कर दिया — वो भी बिना ज़मीन पर टारगेट छूने दिए. भारत और ग्रीस की यह संयुक्त नौसैनिक गतिविधि अब तुर्की-पाक धुरी के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है.

    पश्चिम एशिया में भारत की नई धुरी

    भारत, ग्रीस, साइप्रस और आर्मेनिया के साथ मिलकर एक नया ‘वेस्ट एशिया क्वाड’ आकार दे रहा है. यह गठजोड़ न केवल समुद्री सुरक्षा, बल्कि भूराजनीतिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण बनता जा रहा है.

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