भारत को डिफेंस टेक्नोलॉजी में मिली बड़ी सफलता, DRDO ने 'स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप' का परीक्षण किया

    भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण श्योपुर जिले में किया गया, जहां एयरशिप को 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक लॉन्च किया गया और 62 मिनट तक स्थिर उड़ान में रखा गया.

    India got a big success in defense technology DRDO tested Stratospheric Airship
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- X

    श्योपुर (मध्यप्रदेश): भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण श्योपुर जिले में किया गया, जहां एयरशिप को 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक लॉन्च किया गया और 62 मिनट तक स्थिर उड़ान में रखा गया.

    हाई-एल्टीट्यूड निगरानी के लिए उपलब्धि

    इस परियोजना को DRDO की इकाई एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADRDE), आगरा द्वारा विकसित किया गया है. एयरशिप ने परीक्षण के दौरान इंस्ट्रुमेंटल पेलोड के साथ उड़ान भरी और ऑनबोर्ड सेंसरों की मदद से महत्त्वपूर्ण डेटा एकत्र किया गया. यह डेटा भविष्य में और अधिक ऊंचाई पर उड़ानों के लिए सटीक सिमुलेशन मॉडल तैयार करने में मदद करेगा.

    'लाइटर देन एयर' प्रणाली से मिलेगा बल

    DRDO के अनुसार, यह एयरशिप भारत की इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR) क्षमताओं को नई ऊंचाई तक ले जाएगी. सोशल मीडिया पर DRDO ने इसे "लाइटर देन एयर" प्लेटफॉर्म की दिशा में एक मील का पत्थर करार दिया है. यह तकनीक अब तक गिने-चुने देशों के पास थी, और इस उपलब्धि के साथ भारत भी उस विशिष्ट सूची में शामिल हो गया है.

    सुरक्षा प्रणाली और रिकवरी ऑपरेशन सफल

    परीक्षण के दौरान एयरशिप में एनवेलप प्रेशर कंट्रोल सिस्टम और इमरजेंसी डिफ्लेशन मैकेनिज्म जैसे महत्वपूर्ण सुरक्षा तंत्रों की कार्यक्षमता भी परखी गई. परीक्षण टीम ने एयरशिप को सफलतापूर्वक रिकवर कर लिया, और अब इसे आगे की तकनीकी विश्लेषण के लिए संरक्षित किया गया है.

    रक्षा मंत्री ने दी बधाई

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर DRDO टीम को बधाई देते हुए कहा, "यह अत्याधुनिक प्रणाली भारत की सीमाओं की निगरानी और पृथ्वी अवलोकन क्षमताओं को अत्यधिक मज़बूती देगी. यह उपलब्धि भारत को स्वदेशी हाई-एल्टीट्यूड निगरानी तकनीकों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है."

    क्यों अहम है यह तकनीक?

    स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप पारंपरिक ड्रोन या सैटेलाइट की तुलना में लागत प्रभावी, लंबी अवधि तक स्थिर निगरानी, और तेज डिप्लॉयमेंट जैसी क्षमताओं के कारण आधुनिक सैन्य रणनीति में विशेष स्थान रखती है. यह सीमावर्ती क्षेत्रों में 24x7 निगरानी, प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत व बचाव कार्यों की निगरानी, और आतंकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है.

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