पाकिस्तान के दोस्त की टूट गई हेकड़ी! SCO का सदस्य बनने तक का नहीं मिला मौका...

    चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) सम्मेलन में भारत ने स्पष्ट और मजबूत कूटनीतिक रुख अपनाते हुए न केवल पाकिस्तान को तवज्जो नहीं दी, बल्कि पाकिस्तान के घनिष्ठ सहयोगी अजरबैजान की सदस्यता पर भी वीटो लगा दिया.

    India Gave big message to zerbaijan to stop pakistan fro new membership
    Image Source: Social Media/ANI

    चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) सम्मेलन में भारत ने स्पष्ट और मजबूत कूटनीतिक रुख अपनाते हुए न केवल पाकिस्तान को तवज्जो नहीं दी, बल्कि पाकिस्तान के घनिष्ठ सहयोगी अजरबैजान की सदस्यता पर भी वीटो लगा दिया. अजरबैजान की मीडिया के अनुसार, इस कदम से उसकी एससीओ में पूर्ण सदस्यता की कोशिशों को झटका लगा है.


    एससीओ के नियमों के अनुसार, किसी भी नए सदस्य को शामिल करने के लिए सभी मौजूदा सदस्य देशों की सहमति अनिवार्य होती है. एक भी देश यदि वीटो कर दे, तो सदस्यता प्रक्रिया रुक जाती है. अजरबैजान का दावा है कि भारत ने उसकी सदस्यता को लेकर आपत्ति जताई, जिसके चलते वह फिलहाल संगठन का केवल पर्यवेक्षक (Observer) ही बना रहेगा. भारत की ओर से इस दावे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अजरबैजान की पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियां और भारत विरोधी रुख इसकी प्रमुख वजह हो सकती है.

    पाक-अजरबैजान नजदीकी: भारत के लिए चिंता की वजह

    एससीओ सम्मेलन में अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव ने शिरकत की और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से खुलकर मुलाकात भी की. दोनों देशों की यह गर्मजोशी नई नहीं है. अजरबैजान ने हाल ही में पाकिस्तान से JF-17 लड़ाकू विमान खरीदने की डील की है, जिसे चीन की मदद से विकसित किया गया है.

    पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान और अजरबैजान का रिश्ता इसलिए भी मजबूत हुआ है क्योंकि भारत ने अजरबैजान के कट्टर विरोधी आर्मेनिया को अत्याधुनिक हथियार प्रणाली की आपूर्ति की है. जिनमें पिनाका रॉकेट सिस्टम, आकाश मिसाइल, स्वाथी रडार और होवित्जर तोपें शामिल हैं.

    पीएम मोदी ने पाकिस्तानी पीएम को किया नजरअंदाज

    एससीओ समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शहबाज शरीफ के बीच कोई संवाद नहीं हुआ. सम्मेलन के दो दिनों तक पीएम मोदी ने शरीफ की ओर न तो देखा, न कोई औपचारिक बातचीत की. इसे भारत की स्पष्ट नीति का संकेत माना जा रहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद और भारत विरोधी गतिविधियों से बाज नहीं आता, कोई संवाद संभव नहीं.

    अजरबैजान-आर्मेनिया विवाद और रूस से तनातनी

    अजरबैजान का भू-राजनीतिक संघर्ष केवल पाकिस्तान और भारत तक सीमित नहीं है. 2020 में नागोर्नो-काराबाख को लेकर आर्मेनिया से उसका खूनी संघर्ष हो चुका है. रूस ने उस समय मध्यस्थता करके युद्ध को रोका था, लेकिन हालिया घटनाओं ने अजरबैजान और रूस के संबंधों में खटास पैदा कर दी है. बताया गया कि रूसी सेना ने गलती से अजरबैजान के एक नागरिक विमान को मार गिराया था. जवाब में अजरबैजान ने रूस की सरकारी मीडिया के कई पत्रकारों को हिरासत में ले लिया और उनके दफ्तरों को बंद कर दिया. इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बना हुआ है.

    यूक्रेन संकट के बीच अजरबैजान पर भी खतरा

    पिछले हफ्ते रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर जबरदस्त मिसाइल हमला किया था. उसी दौरान एक रूसी मिसाइल अजरबैजान दूतावास के बेहद करीब आकर गिरी. विशेषज्ञ इसे एक अप्रत्यक्ष संदेश मान रहे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि मॉस्को अजरबैजान की हालिया विदेश नीति से नाराज है.

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