अमेरिकी टैरिफ के दबाव के बीच भारत ने अपनी व्यापारिक रणनीति को नया मोड़ देते हुए रूस के साथ एक महत्वपूर्ण आर्थिक कदम उठाया है. भारत और रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर बातचीत की शुरुआत हो चुकी है. इस डील के जरिए भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब एकध्रुवीय वैश्विक व्यापार पर निर्भर नहीं रहेगा.
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाया है, जिससे दोनों देशों के व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ा है.
भारत-रूस की साझेदारी फिर से मजबूत
रूस दौरे पर गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मौजूदगी में भारत और यूरेशियन यूनियन के बीच इस समझौते के लिए संदर्भ शर्तों (Terms of Reference) पर हस्ताक्षर हुए. भारत की ओर से वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अजय भादू और यूरेशियन इकोनॉमिक कमीशन के अधिकारी मिखाइल चेरेकाएव ने इस पर हस्ताक्षर किए.EAEU में शामिल देशों में रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिज़ गणराज्य आते हैं. रूस इस ब्लॉक में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों के बीच कुल व्यापार का 92% हिस्सा अकेले भारत-रूस के व्यापार का है.
नए बाजार, नई संभावनाएं
अमेरिका से बढ़ते तनाव के बीच भारत का यह कदम अपने आप में एक स्पष्ट संदेश है— भारत अब अपने निर्यातकों को नए बाजारों और साझेदारों की ओर ले जाना चाहता है. यह प्रस्तावित FTA भारतीय कारोबारियों को यूरेशिया जैसे विशाल बाजार में प्रवेश का रास्ता देगा.यह डील खासकर MSME सेक्टर, उभरते उद्योगों, और विविध निर्यात क्षेत्रों के लिए नए अवसर खोल सकती है.FTA के पीछे की सोच साफ है — "नए बाजार खोजो, भरोसेमंद साझेदारों से जुड़ो, और व्यापारिक दबावों का जवाब चतुराई से दो."
आंकड़े क्या कहते हैं?
2024 में भारत और EAEU के बीच व्यापार 69 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. अब लक्ष्य 2030 तक इसे 100 अरब डॉलर तक ले जाने का है. यह समझौता न सिर्फ व्यापार को गति देगा, बल्कि International North-South Transport Corridor (INSTC) जैसी परियोजनाओं को भी मजबूती देगा, जो भारत से यूरोप तक माल ढुलाई के लिए नया रास्ता बना रही है. FTA से जुड़े दोनों पक्षों का कुल GDP लगभग 6.5 ट्रिलियन डॉलर है — यानी व्यापार और निवेश की संभावना बहुत बड़ी है.
यूरेशिया: सिर्फ भूगोल नहीं, रणनीतिक ताकत
यूरेशिया (Eurasia) कोई साधारण भौगोलिक शब्द नहीं, बल्कि यह दुनिया की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक इकाई है. यह क्षेत्र यूरोप और एशिया को जोड़ता है और लगभग 55 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसमें दुनिया की कुल भूमि का 36% से अधिक हिस्सा शामिल है. यह वह क्षेत्र है जो पूर्व में जापान और चीन से लेकर, पश्चिम में फ्रांस और जर्मनी तक, और उत्तर में रूस से लेकर दक्षिण में भारत और ईरान तक फैला हुआ है. इस क्षेत्र में मजबूत व्यापारिक जाल बिछाना भारत के लिए आने वाले वर्षों में असाधारण रणनीतिक लाभ ला सकता है.
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