दक्षिण एशिया की बदलती सामरिक तस्वीर एक नई करवट ले रही है. हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते फिर से तल्खी की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं. ऐसे समय में फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) की एक रिपोर्ट ने एक और बड़ी खबर सामने रखी है—भारत अब परमाणु हथियारों की संख्या में पाकिस्तान से आगे निकल चुका है. यह पहली बार है जब बीते दो दशकों में भारत ने इस होड़ में बढ़त बनाई है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है.
भारत के पास वर्तमान में लगभग 180 परमाणु हथियार
FAS की रिपोर्ट स्टेटस ऑफ वर्ल्ड न्यूक्लियर फोर्सेज के अनुसार, भारत के पास वर्तमान में लगभग 180 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास लगभग 170. यह आंकड़े न केवल दक्षिण एशिया की शक्ति-संतुलन की दिशा में बदलाव का संकेत हैं, बल्कि संभावित सुरक्षा खतरों को भी बढ़ाते हैं. इससे पहले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने भी 2024 की अपनी रिपोर्ट में यह संकेत दिया था कि भारत जल्द ही पाकिस्तान को पीछे छोड़ देगा.
भारत की परमाणु यात्रा 1974 में शुरू हुई थी, जब उसने पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया और दुनिया का छठा परमाणु शक्ति-संपन्न देश बना. इसके जवाब में पाकिस्तान ने 1998 में अपने परमाणु परीक्षण कर क्षेत्र में हथियारों की दौड़ को और तेज कर दिया. लंबे समय तक पाकिस्तान इस दौड़ में आगे रहा, लेकिन भारत ने चुपचाप अपने कार्यक्रम को विकसित करते हुए अब निर्णायक बढ़त बना ली है.
पाकिस्तान और चीन में हड़कंप
2024 की शुरुआत में भारत ने एक और बड़ी छलांग लगाई—अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण जिसमें MIRV तकनीक (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) का इस्तेमाल किया गया. यह टेक्नोलॉजी एक ही मिसाइल से कई लक्ष्यों पर एक साथ हमला करने की क्षमता देती है. इस तकनीक में महारत रखने वाले दुनिया के गिने-चुने देशों—अमेरिका, रूस और चीन—की सूची में भारत अब शामिल हो चुका है. इस कदम से पाकिस्तान और चीन दोनों ही सशंकित हो उठे हैं.
भारत की रणनीतिक सोच अब पाकिस्तान से ज्यादा चीन की ओर केंद्रित दिखती है. इसका संकेत रक्षा बजट में दिखता है, जो 2025-26 में बढ़कर लगभग 79 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. दूसरी तरफ, पाकिस्तान का रक्षा बजट सिर्फ 8 अरब डॉलर के आस-पास है. भारत अब अपने तीनों सेनाओं—थल, वायु और नौसेना—के आधुनिकीकरण में तेज़ी से निवेश कर रहा है. राफेल लड़ाकू विमानों, एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और परमाणु पनडुब्बियों की खरीद इसके प्रमुख उदाहरण हैं.
भारत की यह बढ़ती ताकत पाकिस्तान को अपनी न्यूक्लियर डेटरेंस (परमाणु प्रतिरोधक क्षमता) पर और अधिक निर्भर बना रही है. हालांकि परमाणु हथियार बनाना एक बात है, लेकिन उन्हें सुरक्षित बनाए रखना और उनकी ऑपरेशनल क्षमता को बनाए रखना कहीं अधिक खर्चीला और जटिल है—जो पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है.
भारत ने "नो फर्स्ट यूज़" की नीति को अब तक कायम रखा है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें कुछ लचीले रुख के संकेत जरूर दिए गए हैं. सबसे अहम बात यह है कि भारत अब न्यूक्लियर ट्रायड को पूरा कर चुका है—यानी जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हमला करने की पूरी क्षमता. इस तरह भारत अब उन चंद देशों की सूची में शामिल हो गया है जो किसी भी परिस्थिति में पूरी जवाबी ताकत से हमला करने में सक्षम हैं.
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