भारत की रक्षा क्षमता में ऐतिहासिक उछाल, 10 वर्षों में उत्पादन, निर्यात और सीमा अवसंरचना में रिकॉर्ड वृद्धि

    India Defence Production: पिछले दस वर्षों में भारत ने जिस तरह रक्षा क्षेत्र में अपनी स्थिति को बदला है, वह अब केवल उपलब्धि भर नहीं माना जा रहा, बल्कि देश की रणनीतिक शक्ति का महत्वपूर्ण संकेत बन चुका है.

    India defense capability record growth in production exports border infrastructure in 10 years
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    India Defence Production: पिछले दस वर्षों में भारत ने जिस तरह रक्षा क्षेत्र में अपनी स्थिति को बदला है, वह अब केवल उपलब्धि भर नहीं माना जा रहा, बल्कि देश की रणनीतिक शक्ति का महत्वपूर्ण संकेत बन चुका है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में ऐसे आँकड़े साझा किए जिनसे साफ होता है कि भारत अब आयात पर निर्भर देश नहीं, बल्कि एक तेज़ी से उभरता हुआ रक्षा उत्पादन केंद्र और विश्व बाजार में प्रभावशाली निर्यातक बन चुका है.

    राजनाथ सिंह के मुताबिक 2014 में भारत का कुल रक्षा उत्पादन लगभग 46 हजार करोड़ रुपये था. सिर्फ एक दशक के भीतर यह बढ़कर 1.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो कि भारत की सैन्य औद्योगिक क्षमता में ऐतिहासिक परिवर्तन को दर्शाता है.

    देश अब मिसाइलों से लेकर आधुनिक कॉम्बैट सिस्टम, संचार उपकरण, आर्मर्ड वाहन, रॉकेट सिस्टम, ड्रोन और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स तक अनेक उपकरण स्वयं विकसित कर रहा है. सरकार का कहना है कि यह उछाल सिर्फ सरकारी कारखानों से नहीं, बल्कि निजी उद्योग, स्टार्टअप्स और नई रक्षा नीतियों का परिणाम है, जिसने भारत को वैश्विक मानचित्र पर नई पहचान दी है.

    निर्यात में अभूतपूर्व विस्तार

    भारत का रक्षा निर्यात भी इसी अवधि में असाधारण स्तर पर पहुंच गया है. वर्ष 2014 में जहां कुल रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था, आज यह लगभग 24 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.

    यह वृद्धि केवल संख्या में नहीं बल्कि गुणवत्ता में भी दिखाई देती है. भारत अब कई देशों को हथियार प्रणाली, निगरानी उपकरण, मिसाइल तकनीक, गश्ती नौकाएं, रडार और सैन्य संचार प्रणाली भेज रहा है. यह बदलाव यह साबित करता है कि भारत अब वैश्विक रक्षा बाजार में एक अहम भूमिका निभा रहा है और आने वाले वर्षों में इसका प्रभाव और बढ़ने वाला है.

    सीमा इलाकों में बीआरओ का विस्तार

    रक्षा मंत्री ने सीमा अवसंरचना के विकास पर भी विशेष जोर दिया. लेह में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने पिछले वर्षों में अभूतपूर्व गति से काम किया है.

    बीआरओ ने 5000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले 125 महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पूरे किए, जिनमें नई सड़कों, मजबूत पुलों, पर्वतीय मार्गों और कठिन इलाकों में संचालन को सक्षम बनाने वाली कई रणनीतिक संरचनाओं का निर्माण शामिल है. ये प्रोजेक्ट लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मिजोरम और राजस्थान के संवेदनशील इलाकों में पूरे किए गए.

    भारत में ही विकसित उन्नत पुल तकनीक

    राजनाथ सिंह ने इस बात पर भी विशेष गर्व जताया कि बीआरओ ने अब ऐसे क्लास-70 मॉड्यूलर ब्रिज स्वयं विकसित करने शुरू कर दिए हैं, जिनका इस्तेमाल पहले केवल विदेशों से आयातित प्रणालियों से होता था.

    ये पुल गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स के सहयोग से तैयार किए गए हैं और अब इन्हें फॉरवर्ड लोकेशंस पर तेजी से तैनात किया जा रहा है. ये पुल सैन्य वाहनों का भारी भार सहने में सक्षम हैं और अत्यधिक कठिन मौसम स्थितियों, जैसे बर्फबारी, शून्य से नीचे तापमान और हिमस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में भी पूरी तरह कार्यात्मक रहते हैं.

    बीआरओ का रिकॉर्ड खर्च और आगे की योजना

    वित्त वर्ष 2024–25 में बीआरओ ने 16,690 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड खर्च किया, जो संगठन के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. अगले वित्त वर्ष 2025–26 के लिए सरकार ने इसे बढ़ाकर 18,700 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रखा है, जिससे स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में सीमा इन्फ्रास्ट्रक्चर को और अधिक मजबूत किया जाएगा.

    पिछले दो वर्षों में बीआरओ कुल 356 प्रोजेक्ट्स राष्ट्र को सौंप चुका है, और इनका निर्माण अक्सर अत्यधिक चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में किया गया. चाहे ऊंचे पहाड़ हों, रेगिस्तान, बाढ़ग्रस्त इलाके या घने जंगल, बीआरओ ने हर परिस्थिति में अपनी क्षमता साबित की है. इसी कारण केंद्र सरकार ने वर्ष 2025–26 के यूनियन बजट में बीआरओ के लिए आवंटन बढ़ाकर 7146 करोड़ रुपये किया है.

    भारत की रणनीतिक शक्ति का विस्तारित स्वरूप

    इन सभी प्रगतियों को एक साथ देखें तो साफ होता है कि भारत अब रक्षा उत्पादन में केवल आत्मनिर्भर नहीं हो रहा, बल्कि शक्ति संतुलन में अपनी भूमिका को विश्व स्तर पर मजबूत करता जा रहा है.

    उन्नत हथियार प्रणालियां, आधुनिक रक्षा तकनीक, मजबूत सीमा अवसंरचना और निर्यात के नए अवसर, ये सभी भारत की सामरिक नीति को एक नए युग में ले जा रहे हैं. सरकार का दावा है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत दुनिया के शीर्ष रक्षा निर्माता देशों में शामिल हो सकता है, क्योंकि प्रवृत्ति लगातार तेज़ी से बढ़ रही है.

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