नेहरू ने वंदे मातरम् के टुकड़े किए, देश भी बंट गया… राज्यसभा में बोले अमित शाह

    राज्यसभा का मंगलवार का सत्र पूरी तरह राष्ट्रभावना के नाम रहा. सुबह 11 बजे जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सदन में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा का आगाज़ हुआ. यह वही गीत है जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा माना जाता है.

    नेहरू ने वंदे मातरम् के टुकड़े किए, देश भी बंट गया… राज्यसभा में बोले अमित शाह
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    राज्यसभा का मंगलवार का सत्र पूरी तरह राष्ट्रभावना के नाम रहा. सुबह 11 बजे जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सदन में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा का आगाज़ हुआ. यह वही गीत है जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा माना जाता है. गृह मंत्री अमित शाह ने इस चर्चा की शुरुआत करते हुए वंदे मातरम् की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा को विस्तार से रखा.


    अमित शाह ने कहा कि यह चर्चा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि राष्ट्र की नई पीढ़ी को वंदे मातरम् के योगदान से परिचित कराने का प्रयास है. उन्होंने बताया कि कल लोकसभा में कुछ सदस्यों ने सवाल उठाया था कि इस विषय पर चर्चा क्यों जरूरी है, जिस पर शाह ने दो टूक कहा  वंदे मातरम् के प्रति समर्पण की जरूरत तब भी थी, आज भी है और आने वाले भारत के निर्माण तक रहेगी.

    वंदे मातरम्—मां भारती के प्रति भक्ति और कर्तव्य का मंत्र

    गृह मंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् कोई साधारण गीत नहीं बल्कि मां भारती के प्रति समर्पण का मंत्र है, जो राष्ट्र की चेतना को जगाने की शक्ति रखता है. उन्होंने कहा कि जो लोग यह समझ नहीं पाते कि इस पर चर्चा क्यों जरूरी है, उन्हें अपनी दृष्टि को नए सिरे से परखने की आवश्यकता है.

    150 वर्षों की विरासत और बंकिमचंद्र की अमर रचना

    सदन में बोलते हुए शाह ने जानकारी दी कि 7 नवंबर 1875 को पहली बार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित वंदे मातरम् सार्वजनिक हुआ था. शुरुआत में इसे केवल एक साहित्यिक कृति माना गया, लेकिन जल्द ही यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया. वंदे मातरम् ने देशभक्ति की चेतना जगाई बलिदान और त्याग का भाव मजबूत किया. स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी. शाह ने कहा कि यह गीत बंगाल में लिखा गया, लेकिन इसका प्रभाव पूरे देश और दुनिया भर में फैला. जहां-जहां स्वतंत्रता की चाह थी, वहां-वहां वंदे मातरम् की प्रतिध्वनि सुनाई दी.

    जवान की अंतिम सांस में भी गूंजता है वंदे मातरम्

    अमित शाह ने कहा कि सरहद पर जब कोई सैनिक अपना सर्वोच्च बलिदान देता है, तो उसकी जुबान पर अंतिम शब्द अक्सर वंदे मातरम् ही होते हैं. यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्र का जीवंत भाव है जिसने क्रांतिकारियों, सेनानियों और राष्ट्रनायकों को अविचलित शक्ति दी.

    राष्ट्र की आत्मा को जगाने वाला मंत्र: महर्षि अरविन्द

    गृहमंत्री ने महर्षि अरविन्द का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने वंदे मातरम् को भारत के पुनर्जन्म का मंत्र बताया था.इस गीत ने उस राष्ट्र को जगाया था जो अपनी दिव्य शक्ति को भूल चुका था, और स्वतंत्रता संग्राम में यही गीत लाखों भारतीयों की प्रेरणा बना.

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