‘आकाश’ डिफेंस सिस्टम ने चीन के विकल्प को पछाड़ा, ब्राजील करेगा लोकल प्रोडक्शन

    भारत की सैन्य ताकत अब सिर्फ सीमाओं के भीतर नहीं रह गई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपना असर दिखा रही है. ताज़ा मामला ब्राजील का है, जहां भारत की स्वदेशी 'आकाश' एयर डिफेंस सिस्टम ने चीनी सिस्टम 'Sky Dragon' को पछाड़ते हुए अपनी जगह बना ली है.

    India Brazil Defence deal of aaksash air defence system
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    भारत की सैन्य ताकत अब सिर्फ सीमाओं के भीतर नहीं रह गई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपना असर दिखा रही है. ताज़ा मामला ब्राजील का है, जहां भारत की स्वदेशी 'आकाश' एयर डिफेंस सिस्टम ने चीनी सिस्टम 'Sky Dragon' को पछाड़ते हुए अपनी जगह बना ली है. ब्राजील ने भारत से इस मिसाइल सिस्टम को खरीदने की इच्छा तो जताई ही है, साथ ही इसके लोकल प्रोडक्शन में भी साझेदारी की बात सामने आई है.

    विदेश मंत्रालय ने की पुष्टि 

    विदेश मंत्रालय में सचिव पी. कुमारन ने इस बात की पुष्टि की है कि ब्राजील की दिलचस्पी केवल खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि वह इस तकनीक का भारत के साथ मिलकर निर्माण भी करना चाहता है. माना जा रहा है कि जुलाई 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए ब्राजील जाएंगे, तो इस विषय पर गहन बातचीत होगी. यह प्रधानमंत्री मोदी की ब्राजील यात्रा का एक अहम द्विपक्षीय आयाम होगा.

    चीन को दूर कर भारत को चुना

    दरअसल, ब्राजील की सेना की एक टीम पहले भारत आई थी और उन्होंने आकाश सिस्टम का लाइव प्रदर्शन देखा था. इसके बाद उन्होंने चीनी मिसाइल प्रणाली को दरकिनार करते हुए भारत के विकल्प को चुना. यह भारत के लिए एक रणनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि इससे ‘मेक इन इंडिया’ और रक्षा निर्यात नीति को नई दिशा मिलती है. रक्षा सहयोग की यह साझेदारी सिर्फ एक डील तक सीमित नहीं रहने वाली. दोनों देशों के बीच अब कई स्तरों पर सहयोग की संभावनाएं उभर रही हैं. ब्राजील की रुचि भारत के तेजस लड़ाकू विमान में भी देखी गई है और साथ ही भारत भी ब्राजील के C-390 मिलेनियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को अपनाने पर विचार कर रहा है. इसके अलावा, मिसाइल, गाइडेड म्यूनिशन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और नेवल प्लेटफॉर्म्स के क्षेत्र में भी साझा परियोजनाओं पर काम शुरू किया जा सकता है.

    भारत में बढ़ रहा निवेश 

    औद्योगिक स्तर पर भी यह साझेदारी मजबूत हो रही है. भारत की रक्षा कंपनियां जैसे कि MKU और SMPP पहले से ब्राजील में सक्रिय हैं और वहां की सुरक्षा एजेंसियों को बुलेटप्रूफ जैकेट समेत अन्य उपकरणों की आपूर्ति कर रही हैं. दूसरी ओर, ब्राजील की कंपनियां — टॉरस आर्मस और सीबीसी — अब भारत में निवेश बढ़ा रही हैं और स्थानीय निर्माण इकाइयां लगाने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी हैं.


    ब्राजील की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी एम्ब्रेयर ने भी भारत में अपनी सब्सिडियरी शुरू कर दी है. इससे दोनों देशों के बीच डिफेंस एविएशन और सिविल एयरक्राफ्ट सेक्टर में तकनीकी और औद्योगिक सहयोग की नई संभावनाएं खुल रही हैं. दिलचस्प बात ये भी है कि भारत और ब्राजील अब G20 सैटेलाइट मिशन जैसे अभियानों में भी साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जहां फोकस जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी पर है. यह साझेदारी एक मिसाइल डील से कहीं आगे की कहानी है. यह भारत की बदलती वैश्विक भूमिका और तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रमाण है. ‘आकाश’ अब सिर्फ आसमान की सुरक्षा का नाम नहीं रहा, बल्कि वह भारत के आत्मविश्वास और वैश्विक प्रभाव का प्रतीक बन चुका है.

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