भारत और रूस के रक्षा संबंध एक बार फिर नई ऊंचाई की ओर बढ़ सकते हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आगामी भारत दौरे से पहले संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देशों के बीच पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 को लेकर महत्वपूर्ण बातचीत हो सकती है.
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रूस के उप मिशन प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने इस ओर इशारा किया कि Su-57 के संयुक्त निर्माण की संभावनाएं दोनों देशों के बीच चर्चा का विषय बन सकती हैं. उन्होंने यह भी बताया कि रूस ने हाल के वर्षों में यूक्रेन संघर्ष के दौरान कई उन्नत हथियार प्रणालियों को युद्ध क्षेत्र में परखा है और उनमें Su-57 भी शामिल है.
भारत में बन सकता है Su-57, HAL कर रही है स्टडी
बाबुश्किन ने बताया कि भारत और रूस के बीच लाइसेंस आधारित संयुक्त उत्पादन संभव है, जिससे Su-57 का निर्माण भारत में ही किया जा सकता है. इस दिशा में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा एक आंतरिक अध्ययन भी किया जा रहा है ताकि Su-57 की क्षमताओं और भारतीय जरूरतों का मूल्यांकन हो सके. भारत का स्वदेशी स्टील्थ प्रोजेक्ट AMCA (एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) अभी विकास के चरण में है और इसकी पहली उड़ान वर्ष 2034-35 तक ही संभव मानी जा रही है. ऐसे में वायुसेना को अंतरिम समाधान की आवश्यकता है, और Su-57 उस विकल्प के रूप में सामने आ सकता है.
चीन-पाकिस्तान गठजोड़ के बीच भारत की रणनीतिक चाल
चीन पहले ही J-20 और J-35 जैसे दो स्टील्थ फाइटर जेट तैयार कर चुका है और अब उसने पाकिस्तान को भी 40 J-35 विमानों की आपूर्ति का करार कर लिया है. ऐसे माहौल में भारत को अपनी हवाई शक्ति को संतुलित बनाए रखने के लिए तेज़ी से निर्णय लेने की आवश्यकता है. यही कारण है कि भारतीय वायुसेना के भीतर Su-57 की 2 से 3 स्क्वाड्रनों की प्रत्यक्ष खरीद पर भी विचार किया जा रहा है.
एयरो शो में दिखा Su-57 का दम
इस वर्ष की शुरुआत में बेंगलुरु में आयोजित एक एयरो शो में रूस ने Su-57 का प्रदर्शन कर भारतीय रक्षा विशेषज्ञों को इसकी क्षमताओं से अवगत कराया था. वैश्विक सैन्य विशेषज्ञ Su-57 को दुनिया के दूसरे सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट के रूप में देखते हैं, जबकि पहले स्थान पर अमेरिका का एफ-22 रैप्टर है.
S-400 और S-500 पर भी संभावित चर्चा
Su-57 के अलावा, एयर डिफेंस सिस्टम S-400 और S-500 भी वार्ता का हिस्सा हो सकते हैं. भारत पहले से S-400 मिसाइल प्रणाली का उपयोग कर रहा है, जिसने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को भारी नुकसान पहुंचाया था. S-500 के संभावित अधिग्रहण से भारत की वायु रक्षा प्रणाली और भी मज़बूत हो सकती है.
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