आज सुबह के अखबारों की खबरें देखकर सारा राष्ट्र उद्वेलित! लोग गुस्से में हैं... हर देशवासी चाहता है बदला!

    Pahalgam News: 22 अप्रैल की सुबह जब पहलगाम की वादियों में गोलियों की आवाज़ गूंजी, तो सिर्फ वहां की फिज़ा नहीं, पूरे भारत का दिल छलनी हो गया.

    India agitated People are angry every citizen wants revenge
    अमित शाह | Photo: X/Amit Shah

    पहलगाम की वादियों में जब 22 अप्रैल की सुबह गोलियों की आवाज़ गूंजी, तो सिर्फ वहां की फिज़ा नहीं, पूरे भारत का दिल छलनी हो गया. 28 मासूम ज़िंदगियों का अंत, जो एक खूबसूरत छुट्टी मनाने निकले थे—न हत्यारों से कोई बैर, न किसी से दुश्मनी—बस उस धरती पर कदम रखा था, जिसे उन्होंने हमेशा शांति और सुकून की ज़मीन समझा था.

    पर आज, उस धरती से उठती चीखों ने हर भारतीय के भीतर एक आग भर दी है. इस हमले में न सिर्फ खून बहा, बल्कि इंसानियत कराह उठी. यह हमला एक बर्बरता थी—कायरता थी—जिसमें किसी लेफ्टिनेंट की हनीमून ट्रिप मौत का सफर बन गई, किसी पत्नी की सालगिरह का सपना चिता की आग में झुलस गया और किसी का जन्मदिन आखिरी दिन बन गया.

    आज पूरा भारत गुस्से में है. हर शहर, हर गांव में एक ही सवाल गूंज रहा है—कब तक? कब तक भारत अपने निर्दोष नागरिकों की लाशें उठाएगा? क्या अब समय नहीं आ गया कि पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए?

    एक्शन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम की त्रासदी को गंभीरता से लेते हुए न केवल अपना विदेश दौरा रद्द किया, बल्कि तुरंत एक्शन मोड में आते हुए उन पांच बड़े फैसलों पर मुहर लगाई जो पाकिस्तान को सीधा संदेश देते हैं कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा. सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द करना, अटारी बॉर्डर सील करना और उच्चायोग के स्टाफ को वापस बुलाना—ये फैसले बताने के लिए काफी हैं कि अब हर खून के कतरे का हिसाब होगा.

    शायद पाकिस्तान भूल गया कि वो किससे टकरा रहा है. भारत एक ऐसा देश है जो सहन करता है, लेकिन भूलता नहीं. यहां आंसुओं की गिनती होती है और जब हिसाब चुकता होता है, तो गूंज पूरी दुनिया सुनती है.

    'ये केवल सैन्य जवाब नहीं, एक राष्ट्रीय संकल्प है'

    इस बार सिर्फ आतंकियों के खिलाफ नहीं, उनके सरपरस्तों के खिलाफ भी निर्णायक लड़ाई शुरू हो चुकी है. ये केवल सैन्य जवाब नहीं, एक राष्ट्रीय संकल्प है—कि कोई भी हिंसा से भारत की आत्मा को घायल नहीं कर सकता.

    अब सिर्फ बदले की बात नहीं है, यह न्याय की मांग है. यह उन परिवारों के प्रति कर्तव्य है, जिन्होंने अपनों को खोया है. अब भारत केवल रोएगा नहीं, अब जवाब देगा—एक ऐसा जवाब जो याद रहेगा.

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