इस्लामाबाद: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हालिया घटनाओं ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नई चिंताएं खड़ी कर दी हैं. एक ओर सुरक्षा बलों ने आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ अभियान में सफलता पाई है, वहीं दूसरी ओर उसी क्षेत्र से सात पुलिसकर्मियों के लापता होने की खबर सामने आई है.
सुरक्षा बलों की कार्रवाई: सात आतंकी ढेर
शनिवार को मलाकंड जिले के महरदे क्षेत्र में पुलिस और काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (CTD) ने एक संयुक्त अभियान चलाया, जिसमें TTP से जुड़े पांच आतंकियों को मार गिराया गया और दो अन्य घायल हो गए. इसके अतिरिक्त, आठ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है.
असिस्टेंट कमिश्नर तहसील दरगई वहीदुल्लाह खान के अनुसार, पकड़े गए आतंकियों को पूछताछ के लिए CTD केंद्र भेजा गया है, जबकि घायल आतंकियों का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है.
दक्षिण वज़ीरिस्तान में सात पुलिसकर्मी लापता
उधर, रविवार को दक्षिण वज़ीरिस्तान जिले से सात पुलिसकर्मियों के लापता होने की जानकारी सामने आई है. जिला पुलिस प्रमुख अरशद खान ने पुष्टि की कि लड्डा थाने के तीन और सरवाकाई क्षेत्र के चार पुलिसकर्मी गश्त के दौरान लापता हो गए हैं. पुलिस ने संभावित अपहरण के एंगल से जांच शुरू कर दी है और इलाके में सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.
क्या दोनों घटनाओं में कोई संबंध है?
इन दोनों घटनाओं के समय और स्थान की निकटता के कारण यह आशंका जताई जा रही है कि पुलिसकर्मियों का लापता होना, मारे गए आतंकियों के बदले की प्रतिक्रिया हो सकती है. हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है और जांच जारी है.
TTP: एक बढ़ती चुनौती
पाकिस्तान में TTP की गतिविधियों में हाल के वर्षों में तेज़ी आई है. संगठन ने नवंबर 2022 में सरकार के साथ संघर्षविराम समाप्त कर दिया था, जिसके बाद से खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है.
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आतंकवाद प्रभावित देश बताया गया है, जहां 2024 में आतंकी घटनाओं में मरने वालों की संख्या 45% तक बढ़ गई.
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