बस कंडक्टर को आयकर विभाग ने भेज दिया 7.8 करोड़ का नोटिस, देखते ही चकराया सिर, फिर DM और SP को दिया हिसाब

    Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम आदमी की सुरक्षा और डेटा गोपनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    Income Tax department sent a notice of Rs 7.8 crore to the bus conductor in Hapur
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    Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम आदमी की सुरक्षा और डेटा गोपनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां पिलखुवा कस्बे के मोहल्ला राणा पट्टी निवासी सुभाष, जो एक निजी बस में कंडक्टर की नौकरी करते हैं, उन्हें आयकर विभाग ने 7.8 करोड़ रुपये के लेन-देन को लेकर नोटिस थमा दिया है.

    7.8 करोड़ का टैक्स नोटिस

    40 गज के मकान में रहने वाले और सीमित आमदनी वाले सुभाष के होश तब उड़ गए, जब आयकर विभाग का नोटिस उनके हाथ में आया. विभाग ने उन्हें 2020-21 वित्तीय वर्ष के दौरान हुए करोड़ों रुपये के जीएसटी ट्रांजक्शन को लेकर स्पष्टीकरण देने को कहा है. यह ट्रांजक्शन हापुड़ के पास स्थित एक निजी अस्पताल से जुड़े हैं. नोटिस में कहा गया है कि उनके नाम पर जीएसटीआर-1 में 3.27 करोड़ और जीएसटीआर-3बी में 3.75 करोड़ के ट्रांजेक्शन दर्शाए गए हैं.

    "मेरी आमदनी तो बस किराए जितनी है"

    सुभाष ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वह एक सामान्य कंडक्टर हैं और कभी इतनी बड़ी रकम देखी तक नहीं है. उनका कहना है कि किसी ने उनके पैन कार्ड या आधार कार्ड का दुरुपयोग कर उनके नाम पर फर्जी कंपनी रजिस्टर्ड कर करोड़ों का व्यापार दिखाया है. वह और उनका परिवार इस नोटिस को लेकर बेहद परेशान हैं.

    सुभाष ने इस नोटिस को प्राप्त करने के बाद शुक्रवार को हापुड़ के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और पूरे मामले की शिकायत दर्ज की. उन्होंने अधिकारियों से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, ताकि इस मामले के असली दोषियों का पता लगाया जा सके. सुभाष का कहना है कि वह एक सामान्य व्यक्ति हैं और उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह इतने बड़े लेन-देन में शामिल हो सकें. उन्होंने संदेह जताया कि उनके दस्तावेजों, जैसे आधार कार्ड या पैन कार्ड का किसी ने दुरुपयोग किया होगा.

    फर्जी कंपनियों का नया हथकंडा

    आर्थिक विशेषज्ञों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के अनुसार, हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां गरीब या सामान्य वर्ग के लोगों की पहचान का दुरुपयोग कर फर्जी कंपनियां बनाकर बड़े लेन-देन किए जा रहे हैं. यह फर्जीवाड़ा डिजिटल डाटा की लीकिंग और असुरक्षित केवाईसी प्रक्रियाओं की वजह से और बढ़ गया है.

    अब क्या होगा?

    आयकर विभाग ने सुभाष को 19 फरवरी तक जवाब देने के लिए कहा है. वहीं, विभागीय अधिकारी जितेंद्र सिंह ने पुष्टि की है कि कार्यालय खुलने के बाद मामले की जांच की जाएगी और यदि फर्जीवाड़ा साबित होता है तो उचित कार्रवाई की जाएगी.

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