लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स की देरी से परेशान आवंटियों के लिए राहत की खबर आई है. उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (UP RERA) ने हाल ही में कुछ अहम नियमों में बदलाव किए हैं, ताकि बिल्डरों को तय समय में प्रॉजेक्ट पूरा करने के लिए मजबूर किया जा सके. इन नए नियमों के तहत, अब बिल्डरों को तय समय पर प्रॉजेक्ट पूरा नहीं करने पर भारी जुर्माना भरना होगा. इससे ना केवल बिल्डरों पर दबाव बढ़ेगा, बल्कि आवंटियों को भी समय पर अपने घर मिलेंगे.
यूपी रेरा के नए बदलाव
उत्तर प्रदेश रेरा द्वारा लागू किए गए नए नियमों के मुताबिक, अब बिल्डरों को प्रॉजेक्ट की निर्धारित समयसीमा खत्म होने से तीन महीने पहले ही अतिरिक्त समय के लिए आवेदन करना होगा. यदि डिवेलपर समय पर आवेदन नहीं करता है, तो उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा. अगर प्रॉजेक्ट तीन महीने से ज्यादा लेट होता है, तो जुर्माना बढ़कर 20,000 रुपये हो जाएगा. इसके बाद 6 महीने की देरी पर जुर्माना 40,000 रुपये, 9 महीने पर 60,000 रुपये और 12 महीने से ज्यादा लेट होने पर 80,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
इन नए नियमों के तहत, डिवेलपर को अब प्रॉजेक्ट की भौतिक प्रगति और वित्तीय प्रबंधन का पूरा ब्योरा एक शपथपत्र के रूप में जमा करना होगा. यह शपथपत्र ही तय करेगा कि क्या प्रॉजेक्ट को अतिरिक्त समय मिलेगा या नहीं. अगर आवेदन तय समय से ज्यादा देर से किया जाता है, तो एक लाख रुपये लेट फीस के रूप में जमा करनी होगी.
आवंटियों का भी होगा समावेश
इन नए बदलावों में आवंटियों को भी शामिल किया गया है. अब डिवेलपर को आवंटियों की जानकारी के साथ आवेदन देना होगा, ताकि वे भी प्रॉजेक्ट की स्थिति पर नजर रख सकें. इससे यह सुनिश्चित होगा कि बिल्डर आवंटियों को समय से पहले सूचित करें और उनकी शिकायतें जल्दी हल हो सकें.
प्रमोटर प्रोफाइल और अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
टेरिटोरियल आर्मी की तरह अब यूपी रेरा के वेब पोर्टल पर प्रमोटर प्रोफाइल बनानी होगी, जिसमें प्रॉजेक्ट के पूरा होने की समय सीमा, वर्तमान स्थिति, निवेशक, भागीदार, आयकर रिटर्न की जानकारी मिल सकेगी. इसके अलावा, डिवेलपर को प्रॉजेक्ट से जुड़े रियल एस्टेट एजेंटों के साथ किए गए एग्रीमेंट की कॉपी भी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी.
बैंक अकाउंट के नए नियम
अब यूपी रेरा ने यह भी तय किया है कि प्रॉजेक्ट के लिए एक अलग बैंक अकाउंट खोला जाएगा, जिसमें आवंटियों से ली गई रकम जमा की जाएगी. इस अकाउंट का इस्तेमाल केवल प्रॉजेक्ट की निर्माण और जमीन खरीदने के लिए किया जा सकेगा. इससे आवंटियों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और बिल्डर इसका गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
रियल एस्टेट एजेंटों के लिए नए नियम
टेरिटोरियल आर्मी के तहत रियल एस्टेट एजेंटों के प्रशिक्षण और रजिस्ट्रेशन में भी बदलाव किए गए हैं. अब इच्छुक शख्स यूपी रेरा के वेब पोर्टल पर अपना प्रोफाइल बना सकेगा और रियल एस्टेट एजेंट के तौर पर काम करने के लिए आवेदन कर सकेगा. इससे रियल एस्टेट एजेंटों के कार्यों में पारदर्शिता आएगी और ग्राहकों को बेहतर सेवा मिलेगी.
सैकड़ों आवंटियों का फंसा हुआ पैसा
उत्तर प्रदेश में कई हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स में भारी देरी हो रही है और लाखों रुपये का पैसा फंसा हुआ है. उदाहरण के लिए, अंसल डिवेलपर ने साल 2010 के बाद कई प्रॉजेक्ट्स लॉन्च किए थे, जैसे बसेरा, अकांक्षा और सिलेब्रिटी वुड्स, जिनमें आवंटियों को घर नहीं मिले. यूपी रेरा के गठन के बाद भी कई प्रॉजेक्ट्स की मियाद बीत गई, लेकिन डिवेलपर ने समय पर अतिरिक्त समय के लिए आवेदन नहीं किया. नतीजा, आवंटियों को लंबे वक्त तक अपने घर का इंतजार करना पड़ा.
इसके अलावा, रोहतास के सुलतानपुर रोड और रायबरेली रोड स्थित प्रॉजेक्ट्स में सैकड़ों आवंटियों का पैसा फंसा हुआ है. इन प्रॉजेक्ट्स के लिए रेरा में रजिस्ट्रेशन हुआ था, लेकिन मियाद के बाद भी प्रॉजेक्ट पूरे नहीं हो पाए.
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