बिहार की सियासत में उथल-पुथल के संकेत मिल रहे हैं. जनसुराज अभियान के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि आने वाले चुनावों के बाद नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे. उनका दावा है कि जनता बदलाव के मूड में है और इसका असर चुनाव नतीजों में साफ दिखाई देगा.
बिहार में बदलाव की भूख है
प्रशांत किशोर का कहना है कि राज्य की जनता अब बदलाव चाहती है. उन्होंने कहा कि बिहार में 60% से ज्यादा लोग मौजूदा व्यवस्था से असंतुष्ट हैं. अगले दो महीनों में यह तय हो जाएगा कि ये लोग किस विकल्प को चुनते हैं. पुरानी विफल सरकारों को या किसी नई सोच और नेतृत्व को. लेकिन एक बात तय है, नवंबर के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे. मैं यह बात लिखित में देने को तैयार हूं.
नीतीश अब पहले जैसे सक्षम नहीं
एक इंटरव्यू में PK ने नीतीश कुमार की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अब न तो मंच पर प्रधानमंत्री का नाम ठीक से ले पाते हैं और न ही राष्ट्रगान की पहचान कर पाते हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा जो व्यक्ति खुद की देखभाल नहीं कर सकता, वह राज्य की क्या करेगा? जब पूरा बिहार ये देख रहा है, तो क्या मोदी और अमित शाह इस सच्चाई से अंजान हो सकते हैं?
बीजेपी ने नीतीश को मजबूरी में रखा है
प्रशांत किशोर के मुताबिक, बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार को केवल इसलिए बनाए रखे हुए है ताकि चुनाव तक गठबंधन की स्थिति को संभाला जा सके. उन्होंने कहा बीजेपी बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का जोखिम नहीं उठाना चाहती, इसलिए वह नीतीश कुमार के कमजोर नेतृत्व का बोझ ढो रही है. चुनाव के बाद स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी. अगर मेरा दावा गलत साबित हो, तो राजनीति छोड़ दूंगा प्रशांत किशोर ने इस बार अपने राजनीतिक भविष्य को भी दांव पर लगा दिया. उन्होंने कहा आप इसे रिकॉर्ड कर सकते हैं. जेडीयू को इस बार 25 सीटें भी नहीं मिलेंगी. अगर मेरी बात गलत साबित हो जाए तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा. नीतीश कुमार की स्वीकार्यता अब 60% से गिरकर महज 16-17% रह गई है. पार्टी के पास न कोई मजबूत कैडर है और न कोई प्रभावशाली नेतृत्व.
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