Bihar E-Voting: भारत के लोकतंत्र में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक बन गया. देश ने पहली बार मोबाइल के जरिए मतदान की शुरुआत देखी, जो चुनाव प्रक्रिया को तकनीक के साथ जोड़ने की दिशा में एक बड़ा और साहसिक कदम है. बिहार राज्य निर्वाचन आयोग की इस अनोखी पहल ने न केवल देश के भीतर बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों को भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जोड़ने का नया रास्ता खोला है.
विभा बनीं देश की पहली ई-वोटर
पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल की वार्ड नंबर 8 की रहने वाली विभा कुमारी ने देश में मोबाइल वोटिंग की शुरुआत कर इतिहास रच दिया. वे भारत की पहली महिला मतदाता बनीं जिन्होंने अपने मोबाइल फोन के माध्यम से मतदान किया. यह उपलब्धि सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है.
मुन्ना कुमार बने पहले पुरुष ई-वोटर
विभा के बाद, पकड़ीदयाल के वार्ड नंबर 1 के मुन्ना कुमार ने मोबाइल से वोट डालकर पहले पुरुष ई-वोटर का खिताब अपने नाम किया. इन दोनों की भागीदारी से यह साबित हो गया कि भारत अब डिजिटल लोकतंत्र की ओर एक मजबूत कदम बढ़ा चुका है.
दुनिया से जुड़ा भारत का लोकतंत्र
इस पहल की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि दुबई और कतर जैसे देशों से भी भारतीय नागरिकों ने अपने मोबाइल के जरिए वोटिंग की. इससे यह स्पष्ट हो गया कि मोबाइल वोटिंग न केवल देश के अंदरूनी प्रवासी मजदूरों और कामकाजी लोगों के लिए मददगार होगी, बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों को भी लोकतंत्र से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाएगी.
डिजिटलीकरण से वोटिंग प्रतिशत में उम्मीद
राज्य निर्वाचन आयोग की इस पहल ने यह दिखा दिया कि भारत तकनीकी रूप से कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है. मोबाइल वोटिंग से लोगों को लाइन में लगने या मतदान केंद्र तक पहुंचने की जरूरत नहीं, जिससे कामकाजी वर्ग और युवा वर्ग की भागीदारी बढ़ने की पूरी संभावना है. इससे भविष्य में मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा सकती है.
कैसे काम करता है नया सिस्टम?
ब्लॉकचेन तकनीक से सुरक्षित वोटिंग
इस ई-वोटिंग सिस्टम में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक वोट सुरक्षित, अपरिवर्तनीय और एक विश्वसनीय सिस्टम में रिकॉर्ड हो. इससे डेटा में किसी भी तरह की हेरफेर या बदलाव की कोई संभावना नहीं रहती.
फेस ऑथेंटिफिकेशन से पहचान की पुष्टि
मतदाता को लॉगिन करने और वोट डालने से पहले चेहरे की पहचान (Face Authentication) और मिलान (Match) के जरिए उसकी पहचान की पुष्टि की जाती है. यह प्रक्रिया धोखाधड़ी और फर्जी वोटिंग की आशंका को लगभग खत्म कर देती है.
डिजिटल स्कैनिंग और OCR तकनीक
डिजिटल स्कैनिंग और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) तकनीक की मदद से डाले गए वोटों की गिनती सटीक और तेज़ी से की जा सकती है. इससे मानवीय भूल की संभावना भी कम हो जाती है.
ऑडिट ट्रेल से पारदर्शिता
इस सिस्टम में भी EVM की तरह वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के समान डिजिटल ऑडिट ट्रेल्स मौजूद हैं, जिनकी मदद से जरूरत पड़ने पर किसी भी वोट को ट्रैक किया जा सकता है और उसकी पुष्टि की जा सकती है.
मजबूत सुरक्षा व्यवस्था
ई-वोटिंग सिस्टम में डाले गए वोटों को डिजिटल लॉक और फिजिकल सेफ्टी के साथ बेहद सुरक्षित जगह (EVM स्ट्रॉन्गरूम) में संग्रहित किया जाता है. यह व्यवस्था पारंपरिक मतदान प्रक्रियाओं के साथ भी समानांतर रूप से काम करती है और पूरे चुनाव को सुरक्षित बनाती है.
ये भी पढ़ें: बिहार के शिक्षकों को चुनावी साल में मिली बड़ी गुड न्यूज, अब खुद के हाथ में होगा ट्रांसफर कंट्रोल, जानें पूरा प्रोसेस