नई दिल्ली/बैंकॉक/प्नोम पेन्ह: दक्षिण-पूर्व एशिया में 24 जुलाई को एक अप्रत्याशित मोड़ तब आया जब थाईलैंड ने कंबोडिया के विवादित सीमा क्षेत्र में स्थित सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए. एफ-16 फाइटर जेट्स द्वारा की गई इस एयर स्ट्राइक के जवाब में कंबोडिया ने आर्टिलरी फायरिंग की. अब तक की जानकारी के अनुसार, इस सैन्य मुठभेड़ में 9 लोगों की जान जा चुकी है और 14 से अधिक घायल हुए हैं.
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक ध्यान मुख्य रूप से इजरायल-ईरान और रूस-यूक्रेन के संघर्षों पर केंद्रित है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर यह टकराव आगे बढ़ता है, तो किस पक्ष को सामरिक रूप से बढ़त मिलेगी? और अगर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा, तो चीन किस पक्ष का समर्थन कर सकता है?
सैन्य ताकत की तुलनात्मक स्थिति
ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सैन्य क्षमता में भारी अंतर है.
थाईलैंड का रक्षा बजट लगभग ₹4.6 लाख करोड़ है, जबकि कंबोडिया मात्र ₹60 हजार करोड़ खर्च करता है. यह अंतर दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं में स्पष्ट झलकता है.
थल सेना: अनुभव और उपकरण में असमानता
थाईलैंड के पास करीब 3.6 लाख सक्रिय सैनिक और 2 लाख रिजर्व फोर्स हैं. 200 से अधिक टैंक (M-60, VT-4), 1000 आर्टिलरी यूनिट्स (जैसे M777), और HIMARS जैसे रॉकेट सिस्टम इसे एक मजबूत थलसेना बनाते हैं.
कंबोडिया के पास लगभग 1.7 लाख सक्रिय सैनिक और 1 लाख रिजर्व सैनिक हैं. इनके पास भी 200 से अधिक टैंक हैं, लेकिन अधिकतर टैंक पुराने प्रकार के (T-55, Type 59) हैं. आर्टिलरी और रॉकेट सिस्टम भी पुराने मॉडल (BM-21 ग्रैड आदि) के हैं.
वायुसेना: थाईलैंड को पूर्ण वर्चस्व
थाईलैंड के पास 40 से अधिक एफ-16 और SAAB ग्रिपेन फाइटर जेट्स, 100 हेलिकॉप्टर और RQ-21 ब्लैकजैक जैसे आधुनिक ड्रोन हैं.
कंबोडिया के पास किसी आधुनिक फाइटर जेट की मौजूदगी नहीं है. उनकी वायुसेना मुख्यतः चीन से लिए गए पुराने हेलिकॉप्टरों (Mi-8, Z-9) और बेसिक सर्विलांस ड्रोन पर निर्भर है.
इस तुलना से स्पष्ट है कि वायु युद्ध की स्थिति में थाईलैंड का वर्चस्व सुनिश्चित है.
नौसेना की स्थिति: थाईलैंड की बढ़त
थाईलैंड के पास एक एयरक्राफ्ट कैरियर (HTMS Chakri Naruebet), 7 फ्रिगेट्स, 20 कोरवेट्स और हाल ही में खरीदी गई S26T सबमरीन है.
कंबोडिया की नौसेना मुख्यतः तटीय निगरानी के लिए प्रयुक्त 10 छोटे पैट्रोल बोट्स तक सीमित है, और उनके पास कोई पनडुब्बी नहीं है.
यदि संघर्ष बढ़ा, चीन किसके पक्ष में होगा?
यह एक जटिल प्रश्न है. चीन के थाईलैंड और कंबोडिया दोनों से गहरे संबंध हैं:
विश्लेषकों का मानना है कि यदि चीन को किसी एक पक्ष का समर्थन करना पड़ा, तो उसका झुकाव कंबोडिया की ओर अधिक हो सकता है. हालांकि, चीन की प्राथमिकता संघर्ष को टालने और दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करने की रहेगी.
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