FPV ड्रोन हमले से चित्त हुआ इजराइल, जेलेंस्की को कम आंकने की गलती कर बैठे पुतिन!

    Ukraine Drone Attack on Russia: रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक नई तकनीकी दिशा में मुड़ता दिखाई दे रहा है. इस बार मैदान में न तो टैंक थे और न ही मिसाइलों की बौछार, बल्कि एक साधारण ट्रक से उड़ते दर्जनों छोटे-छोटे ड्रोन थे.

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    Ukraine Drone Attack on Russia: रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक नई तकनीकी दिशा में मुड़ता दिखाई दे रहा है. इस बार मैदान में न तो टैंक थे और न ही मिसाइलों की बौछार, बल्कि एक साधारण ट्रक से उड़ते दर्जनों छोटे-छोटे ड्रोन थे, जिन्होंने रूस के गढ़ में घुसकर कहर मचा दिया. यूक्रेन ने एक बेहद सुनियोजित और चौंकाने वाला हमला करते हुए रूस के अंदर करीब 4000 किलोमीटर दूर स्थित एयरबेसों को निशाना बनाया.

    हमला जहां रूस ने सोचा भी नहीं था

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुरमांस्क और इरकुत्स्क जैसे सुदूर रूसी क्षेत्रों में आम लोगों ने एक ट्रक को संदिग्ध अवस्था में खड़ा देखा. कुछ ही देर बाद ट्रेलर से एक के बाद एक FPV (First Person View) ड्रोन उड़ने लगे और सीधे एयरबेस की ओर रवाना हो गए. ट्रक का ड्राइवर पुलिस के हाथ लगा, लेकिन उसने केवल इतना कहा "मुझे बस यहां बुलाया गया था, मुझे नहीं पता अंदर क्या था. यह साफ करता है कि ऑपरेशन इतना गोपनीय था कि ड्राइवर तक को इसकी जानकारी नहीं थी. इसी दौरान ड्रोन ने अपने लक्ष्य को भेदना शुरू कर दिया.

    कैसे किया गया हमला?

    यूक्रेनी सेना ने पारंपरिक हमले की जगह एक नया तरीका अपनाया. ड्रोन को कंटेनरों में छिपाया गया, फिर इन्हें साधारण ट्रकों में रख रूस के भीतर गहराई तक पहुंचाया गया. एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देते हुए इन ड्रोन को पास से लॉन्च किया गया, जिससे रूस को प्रतिक्रिया का मौका भी नहीं मिला. FPV ड्रोन ऑपरेटर इन्हें लाइव वीडियो फीड के जरिए कंट्रोल करता है, जिससे सटीकता के साथ लक्ष्य पर हमला संभव होता है.

    बड़े नुकसान की पुष्टि

    यूक्रेन के मुताबिक, इस हमले में रूस के कम से कम 41 सैन्य विमान नष्ट या क्षतिग्रस्त हुए. इसमें Tu-95 और Tu-22M3 जैसे रणनीतिक बमवर्षक शामिल हैं. हमले का केंद्र बेलाया एयरबेस (इरकुत्स्क) और ओलेन्य एयरबेस (मुरमांस्क) रहे  दोनों यूक्रेन से हजारों किलोमीटर दूर हैं. यह पहली बार है जब किसी यूक्रेनी ड्रोन ने रूस की इतनी गहराई में पहुंचकर हमला किया है.

    डेढ़ साल पुरानी थी योजना

    इस अत्याधुनिक ऑपरेशन की रणनीति करीब 18 महीने पहले तैयार की गई थी. सूत्रों के मुताबिक, इसकी निगरानी स्वयं राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने की थी. ट्रकों में छिपे ड्रोन, सीमाओं को पार करते हुए रणनीतिक एयरबेस के नज़दीक पहुंचे और वहीं से ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. यह सिर्फ एक सैन्य हमला नहीं था, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक संदेश भी था—अब रूस का “अंदरूनी इलाका” भी सुरक्षित नहीं रहा.

    रूस की जवाबी कार्रवाई और बढ़ता तनाव

    हमले के चंद घंटों के भीतर ही रूस ने यूक्रेन पर बड़ा पलटवार किया. रूस ने 472 ड्रोन और 7 मिसाइलें एक ही दिन में दागीं, जिसमें 12 यूक्रेनी सैनिकों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए. इस घटना के बाद यूक्रेनी सेना के वरिष्ठ अधिकारी मिखाइलो ड्रापातयी ने इस्तीफा भी दे दिया.

    क्या आगे और हमले होंगे?

    यूक्रेन की यह रणनीति इस बात का संकेत है कि आधुनिक युद्ध सिर्फ ताकत से नहीं, तकनीक और चतुराई से भी लड़ा जाएगा. पारंपरिक सीमाएं अब सिर्फ नक्शों पर रह गई हैं. गुरिल्ला शैली में मोबाइल ड्रोन से हमला कर यूक्रेन ने यह स्पष्ट किया है कि वह रूस के केंद्र तक पहुंचने में सक्षम है. राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि देश की स्वतंत्रता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए वह कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे.

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