Richest CM In India: राजनीति में शक्ति तो होती ही है, लेकिन संपत्ति का भी अपना अलग ही खेल है. देश में कौन-से मुख्यमंत्री सबसे अमीर हैं और किनके पास नाममात्र की संपत्ति है, इसका खुलासा हाल ही में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा जारी एक रिपोर्ट में हुआ है.
इस रिपोर्ट में देश के 30 मुख्यमंत्रियों की संपत्ति का विश्लेषण किया गया है, जो उन्होंने अपने चुनावी हलफनामों में घोषित की थी. रिपोर्ट से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जहां एक ओर कुछ मुख्यमंत्रियों की संपत्ति सैकड़ों करोड़ में है, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो साधारण जीवन शैली के प्रतीक हैं.
सबसे अमीर सीएम कौन?
सबसे ज्यादा संपत्ति वाले मुख्यमंत्री के तौर पर आंध्र प्रदेश के सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू टॉप पर हैं. उनके पास घोषित संपत्ति 931 करोड़ रुपये से भी अधिक है. चौंकाने वाली बात यह है कि यह आंकड़ा बाकी मुख्यमंत्रियों के मुकाबले कहीं ज्यादा है, जो उन्हें सबसे धनी मुख्यमंत्री बनाता है.
दूसरे पायदान पर हैं अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू, जिनकी संपत्ति 332 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है. तीसरे स्थान पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं, जिनकी कुल संपत्ति 51 करोड़ रुपये से अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार, इन 30 मुख्यमंत्रियों की औसतन संपत्ति 54.42 करोड़ रुपये है. कुल मिलाकर सभी मुख्यमंत्रियों की कुल संपत्ति 1,632 करोड़ रुपये बैठती है.
सबसे साधारण सीएम
जहां कुछ मुख्यमंत्रियों की संपत्ति अंबानी-जैसे आंकड़े छू रही है, वहीं कुछ नेता ऐसे भी हैं जो सादगी की मिसाल हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास मात्र 15.38 लाख रुपये की संपत्ति है, जो उन्हें देश की सबसे कम संपत्ति वाली मुख्यमंत्री बनाती है. उनके बाद जम्मू-कश्मीर के उमर अब्दुल्ला हैं, जिनके पास 55.24 लाख रुपये की संपत्ति है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के पास 1.18 करोड़ रुपये और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के पास 1.46 करोड़ रुपये
की संपत्ति है.
योगी आदित्यनाथ की संपत्ति कितनी?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुल घोषित संपत्ति 1.54 करोड़ रुपये है. वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास 1.64 करोड़ रुपये, पंजाब के भगवंत मान और ओडिशा के मोहन माझी, दोनों के पास 1.97 करोड़ रुपये की संपत्ति है. छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय के पास संपत्ति का आंकड़ा 3.80 करोड़ रुपये तक पहुंचता है.
कैसे तैयार हुई ये रिपोर्ट?
ADR और नेशनल इलेक्शन वॉच ने यह रिपोर्ट मुख्यमंत्रियों द्वारा चुनाव में नामांकन के समय दिए गए हलफनामों के आधार पर तैयार की है. मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण वहां के मुख्यमंत्री को इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया.
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