जंग के सालों बाद भी फटते रहते हैं... ईरान के 'क्लस्टर बम' ने इजराइल में कितनी मचाई तबाही? जानें ताकत

    19 जून की रात ईरान ने इजराइल के अजोर शहर को निशाना बनाते हुए एक ऐसा हथियार इस्तेमाल किया, जिसे युद्ध के बाद भी 'शांति' नहीं आती- क्लस्टर बम.

    How much devastation did Irans cluster bomb cause in Israel
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: मिडिल ईस्ट की लड़ाई एक बार फिर उस मोड़ पर पहुंच चुकी है जहां मानवीय संवेदनाएं पीछे छूट जाती हैं और हथियारों की विनाशकारी प्रकृति सबसे ज्यादा उजागर होती है. 19 जून की रात ईरान ने इजराइल के अजोर शहर को निशाना बनाते हुए एक ऐसा हथियार इस्तेमाल किया, जिसे युद्ध के बाद भी 'शांति' नहीं आती- क्लस्टर बम.

    क्या हुआ 19 जून को?

    इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) के मुताबिक, ईरान ने इजराइल के सेंट्रल रीजन में स्थित अजोर पर करीब 20 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. इनमें से एक मिसाइल का वॉरहेड क्लस्टर म्यूनिशन से लैस था. मिसाइल ने 7 किलोमीटर की ऊंचाई पर हवा में फटकर सैकड़ों छोटे-छोटे सबम्यूनिशन यानी माइनी बम हवा में बिखेरे, जो लगभग 8 किलोमीटर के इलाके में फैल गए.

    इनमें से एक 2.5 किलो का बम सीधे एक रिहायशी मकान पर गिरा. धमाके की तीव्रता भले ही सीमित रही, लेकिन प्रभाव व्यापक था: 89 लोग घायल हुए, जिनमें से छह की हालत गंभीर है. और यह खतरा अभी टला नहीं है — 19 बम फट ही नहीं पाए और जमीन में दबे हुए हैं.

    क्लस्टर बम: नागरिक इलाकों तक फैलता खौफ

    क्लस्टर बम, जैसा कि नाम से संकेत मिलता है, दरअसल बमों का समूह होता है. एक बड़ा कंटेनर दर्जनों या सैकड़ों माइनी बमों को लिए होता है, जो हवा में फटकर नीचे जमीन पर गिरते हैं. इन छोटे बमों को दो तरह से डिजाइन किया जाता है — कुछ टकराने पर तुरंत फटते हैं, तो कुछ जमीन पर गिरकर बाद में फटते हैं. और यही उन्हें लैंडमाइन जैसा घातक बना देता है.

    इसका सबसे गंभीर पहलू ये है कि इनमें से कई बम फटते ही नहीं हैं. वे महीनों, यहां तक कि वर्षों तक जमीन में दबे रहते हैं — किसानों के खेतों, स्कूलों के पास, या गलियों में. एक बार फिर से छूने या हलचल के संपर्क में आने पर ये बम विस्फोट कर सकते हैं. यही कारण है कि क्लस्टर बमों को "Post-war killer" कहा जाता है.

    क्लस्टर बमों के प्रकार

    क्लस्टर बम भी एक समान नहीं होते. इनकी चार प्रमुख श्रेणियां होती हैं:

    एंटी-पर्सनल क्लस्टर बम: मानव लक्ष्य को निशाना बनाते हैं. इनमें धातु के टुकड़े (शार्पनेल) होते हैं जो विस्फोट के साथ आसपास बिखर जाते हैं.

    एंटी-टैंक क्लस्टर बम: टैंक और बख्तरबंद वाहनों के कवच को भेदने की क्षमता रखते हैं.

    कम्बाइंड इफेक्ट क्लस्टर बम: बहुप्रभावी हथियार होते हैं जो रनवे, गाड़ियाँ और सैनिकों को समान रूप से निशाना बनाते हैं.

    इन्सेंडियरी क्लस्टर बम: ये आग फैलाने के लिए डिजाइन किए जाते हैं और शहरों तथा जंगलों को जलाने के लिए उपयोग किए जाते हैं.

    इजराइल पर हमले के परिणाम

    19 जून का हमला सैन्य दृष्टि से सीमित था लेकिन मनोवैज्ञानिक और मानवीय असर कहीं अधिक गहरा है. इजराइली सेना के मुताबिक एक ही बम से हुई क्षति रॉकेट अटैक जितनी थी, लेकिन बाकी न फटे बम अब नागरिकों के लिए खतरनाक बन चुके हैं.

    होम फ्रंट कमांड की चेतावनी ने स्थिति की गंभीरता को उजागर किया, लोगों को मिसाइल के टुकड़े जैसी किसी भी चीज़ से दूर रहने को कहा गया है.

    क्लस्टर बम: युद्ध अपराध क्यों?

    क्लस्टर बमों के इस्तेमाल को वॉर क्राइम क्यों माना जाता है, इसका जवाब दो अंतरराष्ट्रीय नियमों में छिपा है:

    • कन्वेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन्स (CCM), 2008: यह संधि क्लस्टर बमों के निर्माण, स्टोरेज, उपयोग और स्थानांतरण को प्रतिबंधित करती है.
    • जिनेवा कन्वेंशन 1949 के मानवीय कानून: युद्ध में ऐसे हथियारों का इस्तेमाल जो सैनिक और आम नागरिकों में भेद न कर सकें, अवैध है.

    इस सिद्धांत को "Principle of Proportionality" कहा जाता है, जो कहता है कि सैन्य फायदे की तुलना में अगर आम नागरिकों की क्षति अधिक है, तो ऐसा हमला युद्ध अपराध माना जाएगा.

    कहां-कहां हुआ क्लस्टर बमों का इस्तेमाल?

    क्लस्टर बम कोई नया हथियार नहीं है. इनका इस्तेमाल दशकों से हो रहा है:

    • द्वितीय विश्व युद्ध: सबसे पहले सोवियत रूस और फिर जर्मनी ने इंग्लैंड पर इनका प्रयोग किया.
    • वियतनाम युद्ध (1964–1973): अमेरिका ने लाओस पर 27 करोड़ क्लस्टर बम गिराए, जिनमें से 8 करोड़ अब तक बिना फटे हैं.
    • 1990-91 के खाड़ी युद्ध: अमेरिका और सहयोगियों ने इराक पर 61,000 से ज्यादा क्लस्टर बम बरसाए.
    • यूगोस्लाविया (1999), अफगानिस्तान (2001-02), इराक (2003–2006), लेबनान (2006), और सीरिया-यमन (2012-2018) — हर बड़े संघर्ष में इन हथियारों ने नागरिकों की जान ली है.
    • रूस-यूक्रेन युद्ध (2022-2024) में भी हजारों क्लस्टर बम इस्तेमाल किए गए, जिनसे 1,000 से अधिक नागरिक मारे गए.

    किन देशों के पास आज भी क्लस्टर बम हैं?

    हालांकि 111 देशों ने CCM पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन कुछ प्रमुख ताकतें अब भी इससे बाहर हैं. 2024 की Cluster Munition Monitor Report के अनुसार:

    • 15 देश, जिनमें अमेरिका, रूस, चीन, इजराइल और भारत शामिल हैं, अभी भी इनका निर्माण और उपयोग करते हैं.
    • अमेरिका के पास लाखों की संख्या में DPICM क्लस्टर बम हैं.
    • रूस के पास RBK सीरीज के बम हैं.
    • यूक्रेन, जो खुद CCM का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, ने अमेरिका से कई बार क्लस्टर बम की खेप प्राप्त की.
    • 28 देश ऐसे हैं जहां इन बमों के रैमनेंट्स मौजूद हैं, यानी खतरा अभी भी जिंदा है.

    नागरिकों पर सबसे ज्यादा असर

    क्लस्टर म्यूनिशन कोएलिशन (CMC) के मुताबिक, इन बमों से 95% जानमाल का नुकसान आम नागरिकों का होता है. बच्चों को इन बमों से सबसे ज्यादा खतरा होता है, क्योंकि ये रंग-बिरंगे खिलौनों जैसे दिख सकते हैं.

    ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट बताती है कि 2022 में क्लस्टर बमों के कारण 1000 से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई थी.

    ये भी पढ़ें- अमेरिका के खिलाफ जर्मनी, स्पेन को लुभाने में लगे हैं मैक्रों, F-35 से मुकाबला करने उतरेगा राफेल; होगा युद्ध?