अक्सर कार मालिक अपनी गाड़ी को चमकदार और आकर्षक बनाए रखने के लिए खास ध्यान देते हैं, क्योंकि साफ-सुथरी कार न केवल देखने में अच्छी लगती है, बल्कि उसमें सफर का अनुभव भी बेहतर बनाती है. हालांकि, कार की देखभाल का सबसे अहम हिस्सा है समय-समय पर उसे धोना. यही वह जगह है जहां असली उलझन शुरू होती है—कार को कितनी बार धोना सही है?
अगर कार को लंबे समय तक बिना धोए छोड़ दिया जाए, तो उस पर धूल, मिट्टी और कीचड़ की मोटी परत जम जाती है. यह परत न केवल पेंट को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि समय के साथ जंग लगने की संभावना भी बढ़ा देती है. दूसरी ओर, बार-बार साबुन और शैंपू से धोने से पेंट की चमक कम हो सकती है, क्योंकि केमिकल युक्त क्लीनर पेंट की सुरक्षा परत को कमजोर कर देते हैं.
धोने की सही फ्रीक्वेंसी किन बातों पर निर्भर करती है
कार धोने का कोई एक तय फॉर्मूला नहीं है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस इलाके में रहते हैं, कार कितनी चलाते हैं, और मौसम का असर कितना है. शहरी इलाकों में: महीने में 2 से 4 बार (हर हफ्ते या पंद्रह दिन में एक बार) कार धोना बेहतर है, क्योंकि यहां धूल ज्यादा जमती है, जो समय पर न हटाने पर पेंट पर स्थायी दाग छोड़ सकती है. बरसात के मौसम में: हर हफ्ते कार धोना जरूरी हो जाता है, क्योंकि कीचड़ और पानी के छींटे व्हील आर्च, मडगार्ड और अंडरबॉडी में जमकर जंग का कारण बन सकते हैं.
सर्दियों में: महीने में 3-4 बार वॉश ठीक है.
गर्मियों में: धूल के साथ पक्षियों की बीट और पेड़ों का राल भी पेंट को खराब कर सकता है, इसलिए हर 2 हफ्ते में वॉश जरूरी है.
धोने का तरीका भी है अहम
फ्रीक्वेंसी के साथ-साथ धोने का तरीका भी कार की उम्र और लुक पर असर डालता है. हमेशा सॉफ्ट माइक्रोफाइबर कपड़ा, हल्का कार शैंपू और पर्याप्त पानी का इस्तेमाल करें. प्रेशर वॉशर का प्रयोग करते समय पानी की धार बहुत तेज न हो, ताकि पेंट और सीलेंट को नुकसान न पहुंचे.
यह भी पढ़ें: अपग्रेडेड फीचर्स के साथ इस महीने धूम मचाने आ रही Hyundai Venue, लॉन्च डेट हुई कन्फर्म