इजरायल से 80 गुना बड़ा, आबादी भी ज्यादा... फिर भी कैसे मात खा रहा है ईरान, जानें किसमें कितना है दम?

    क्षेत्रफल में करीब 80 गुना बड़ा, आबादी में लगभग 8 गुना अधिक, लेकिन जब बात शक्ति प्रदर्शन और रणनीतिक बढ़त की आती है, तो इजरायल अक्सर ईरान पर भारी पड़ता है.

    How Iran is losing to Israel who has more power
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    नई दिल्ली: क्षेत्रफल में करीब 80 गुना बड़ा, आबादी में लगभग 8 गुना अधिक, लेकिन जब बात शक्ति प्रदर्शन और रणनीतिक बढ़त की आती है, तो इजरायल अक्सर ईरान पर भारी पड़ता है. एक प्राचीन सभ्यता वाला विशाल देश, और दूसरा महज 76 साल पुराना राष्ट्र फिर भी इजरायल ने जिस तरह से ईरान को सैन्य, कूटनीतिक और तकनीकी स्तर पर बार-बार चुनौती दी है, वह वैश्विक राजनीति में एक अहम उदाहरण बन गया है. आखिर क्यों?

    ईरान: विशाल भूभाग, लेकिन अस्थिर व्यवस्था

    ईरान पश्चिम एशिया का एक ऐतिहासिक राष्ट्र है. 17,48,000 वर्ग किलोमीटर में फैला यह देश सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है. एक लाख साल पुरानी मानव बस्तियों के प्रमाण यहां मिलते हैं. वहीं, इजरायल महज 22,000 वर्ग किलोमीटर का छोटा सा देश है जिसकी स्थापना 1948 में हुई थी.

    ईरान की जनसंख्या लगभग 8.9 करोड़ है, जबकि इजरायल की जनसंख्या करीब 1 करोड़. लेकिन मात्र आकार और जनसंख्या ही शक्ति का निर्धारण नहीं करते. आर्थिक, तकनीकी और राजनीतिक स्थिरता कहीं अधिक मायने रखती है और यही वह क्षेत्र है जहां इजरायल ईरान से मीलों आगे है.

    आर्थिक और सामाजिक स्थिति: दो विपरीत दुनिया

    इजरायल की प्रति व्यक्ति आय लगभग 53,000 डॉलर है, जबकि ईरान की महज 4,400 डॉलर.

    महंगाई दर: ईरान में 35-45% के बीच झूलती है, इजरायल में मात्र 2.8%.

    बेरोजगारी: ईरान में व्यापक है, इजरायल में नियं‍त्रण में.

    स्वास्थ्य सेवाएं: ईरान में सीमित और असमान, इजरायल में अत्याधुनिक और सभी के लिए सुलभ.

    यह आर्थिक स्थिरता ही है जिसने इजरायल को अत्याधुनिक सैन्य ताकत और वैश्विक स्तर की साइबर क्षमता विकसित करने में सक्षम बनाया है.

    इजरायल की सैन्य और खुफिया बढ़त

    इजरायल का सैन्य ढांचा दुनिया के सबसे प्रभावशाली तंत्रों में से एक है.

    एयर डिफेंस सिस्टम: आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग और एरो मिसाइल सिस्टम ने इजरायल को मिसाइल हमलों से सुरक्षित किया है.

    खुफिया एजेंसी: मोसाद की सटीक और आक्रामक रणनीति ने बार-बार ईरान के भीतर घुसकर सफलतापूर्वक ऑपरेशन अंजाम दिए हैं.

    माना जाता है कि इजरायल ने ईरान के भीतर प्रमुख सैन्य और परमाणु वैज्ञानिकों को टारगेट कर खत्म कर दिया है.

    • Stuxnet साइबर हमला (2010): ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान.
    • 2020: ईरान के टॉप परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीज़ादेह की हत्या.
    • 2025: इजरायल ने एक ही दिन में ईरान के 100 सैन्य ठिकानों को नष्ट किया.

    वैश्विक समर्थन बनाम वैश्विक दबाव

    • इजरायल को अमेरिका और यूरोप का खुला समर्थन प्राप्त है.
    • सालाना 3.8 अरब डॉलर की सैन्य सहायता केवल अमेरिका से मिलती है.
    • अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई शक्तिशाली देश कूटनीतिक मंचों पर इजरायल के पक्ष में खड़े रहते हैं.

    इसके उलट ईरान दशकों से अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से घिरा हुआ है. ईरान की अर्थव्यवस्था लगभग अलग-थलग है, और उसकी वैश्विक कूटनीतिक पहुंच सीमित हो गई है.

    ईरान की आंतरिक कमजोरी

    • सत्ता व्यवस्था: कठोर इस्लामी शासन और मानवाधिकारों पर भारी प्रतिबंध.
    • आर्थिक संकट: महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से जूझता देश.
    • आंदोलन और असंतोष: खासकर महिलाओं और युवाओं में शासन के खिलाफ तीव्र असंतोष.

    ईरान की जनता कई बार सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरी है. सामाजिक अस्थिरता और आर्थिक संकट ने उसकी राष्ट्रीय ताकत को कमजोर किया है.

    इजरायल की फॉरवर्ड डिफेंस स्ट्रैटेजी

    इजरायल ने ईरान के बढ़ते प्रभाव को सीमाओं से दूर ही रोकने की नीति अपनाई है.

    • सीरिया, इराक, लेबनान, यमन: ईरान समर्थित ठिकानों पर लगातार हमले.
    • सीरिया में: पिछले कुछ वर्षों में 200 से अधिक एयरस्ट्राइक.

    इस नीति के कारण ईरान का पश्चिम एशिया में सैन्य विस्तार सीमित हो गया है.

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