जब भी आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं और वहां एक बॉक्स नजर आता है जिस पर लिखा होता है "I’m Not a Robot", तो यह सवाल ज़रूर आता है कि "क्या सिर्फ एक क्लिक से ये कैसे तय हो जाता है कि मैं इंसान हूं?" असल में यह सिर्फ एक बॉक्स नहीं, बल्कि एक स्मार्ट सिक्योरिटी सिस्टम है, जो आपके डिजिटल व्यवहार को देखकर आपकी पहचान करता है. आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.
‘I’m Not a Robot’ का असली राज क्या है?
इस बॉक्स के पीछे काम करता है एक तकनीकी टूल जिसका नाम है CAPTCHA. इसका पूरा मतलब है. “Completely Automated Public Turing test to tell Computers and Humans Apart” यानि ऐसा ऑटोमैटेड टेस्ट जो इंसान और कंप्यूटर प्रोग्राम (बॉट्स) में फर्क करता है. वेबसाइट्स इसका इस्तेमाल इसलिए करती हैं ताकि कोई बॉट (रोबोटिक सॉफ्टवेयर) उनके प्लेटफॉर्म पर फेक लॉगिन, स्पैम कमेंट्स, या डेटा चोरी जैसी हरकतें न कर सके.
सिर्फ क्लिक नहीं, आपकी हर हरकत होती है मॉनिटर
आपको लगता है आपने बस एक बॉक्स पर क्लिक किया, लेकिन हकीकत ये है कि सिस्टम पहले ही आपके माउस मूवमेंट, स्क्रॉलिंग स्टाइल और क्लिक पैटर्न पर नजर रख रहा होता है. इंसान माउस को थोड़ा अनियमित ढंग से मूव करता है. जबकि बॉट्स का कर्सर मूवमेंट बिल्कुल सटीक और सीधा होता है. इस तरह की हरकतें सिस्टम को इशारा देती हैं कि स्क्रीन के पीछे एक असली यूजर है या एक प्रोग्राम.
आपका ब्राउजर भी आपके बारे में बहुत कुछ बताता है
जब आप ‘I’m Not a Robot’ पर क्लिक करते हैं, तो आपकी डिवाइस की डिटेल भी जांची जाती है. इसे कहते हैं – ब्राउजर फिंगरप्रिंटिंग. इसमें चेक होते हैं. आपका IP एड्रेस, ब्राउजर वर्जन और प्लगइन्स, स्क्रीन साइज और आपका टाइम ज़ोन वगैरह. अगर सब कुछ एक नॉर्मल यूजर प्रोफाइल जैसा दिखता है, तो सिस्टम मान लेता है कि आप इंसान हैं. लेकिन अगर कोई संदिग्ध गतिविधि या सेटिंग मिली (जैसे VPN या हेडलेस ब्राउजर), तो आपको अगले लेवल पर ले जाया जाता है.
जब क्लिक से नहीं मानी बात, तब आता है Visual Challenge
कभी आपने ट्रैफिक लाइट, साइकिल या पुल की तस्वीरें चुनने वाला टास्क किया है? इसे कहते हैं – Visual CAPTCHA. ये चैलेंज इंसानों के लिए आसान होता है. लेकिन बॉट्स के लिए यह बहुत पेचीदा हो जाता है. यही कारण है कि सिस्टम इससे फाइनल वेरिफिकेशन करता है.
तो, क्या सिर्फ बॉक्स पर क्लिक काफी है?
नहीं. "I’m Not a Robot" महज एक बॉक्स नहीं, बल्कि एक बैकग्राउंड सिक्योरिटी एल्गोरिदम है जो यह तय करता है कि आप इंसान हैं या नहीं. आपका माउस कैसे हिला, आपने कितनी तेजी से क्लिक किया, आपकी डिवाइस की पहचान क्या है. ये सभी चीज़ें मिलकर तय करती हैं कि आपको वेबसाइट तक पूरी पहुंच मिलेगी या नहीं.
यह भी पढ़ें: AI ने भी दिखा दिए अपने तेवर, पहली बार इंसान की बात मानने से किया इनकार, मस्क ने बताया खतरनाक