हरियाणा के राजभवन को मिली नई पहचान, नाम बदलकर किया गया लोकभवन; सरकारी कामकाज में हुआ लागू

    Haryana News: हरियाणा राज्य ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 'राज भवन' का नाम बदलकर 'लोक भवन' रख दिया है. इस फैसले की अधिसूचना राज्यपाल असीम घोष ने जारी कर दी है और यह 1 दिसंबर 2025 से लागू हो चुका है.

    Haryana Raj Bhavan has been renamed as Lok Bhavan
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    Haryana News: हरियाणा राज्य ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 'राज भवन' का नाम बदलकर 'लोक भवन' रख दिया है. इस फैसले की अधिसूचना राज्यपाल असीम घोष ने जारी कर दी है और यह 1 दिसंबर 2025 से लागू हो चुका है. इस बदलाव के साथ, हरियाणा देश का 10वां राज्य बन गया है, जिसने अपने राज भवन का नाम बदलकर लोक भवन किया है.

    नाम परिवर्तन की अधिसूचना और उसका ऐलान

    गवर्नर के सचिव आईएएस दुष्मंता कुमार बेहरा द्वारा जारी की गई नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया है कि यह निर्णय भारत सरकार के गृह मंत्रालय (CS ब्रांच), नई दिल्ली के पत्र पर आधारित है. इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि हरियाणा, चंडीगढ़ स्थित 'राज भवन' का नाम अब "लोक भवन (चंडीगढ़)" रखा जाएगा और यह 1 दिसंबर, 2025 से लागू होगा. इस बदलाव को राज्य की सरकार और प्रशासनिक व्यवस्था में एक नई दिशा के रूप में देखा जा रहा है.

    केंद्रीय गृह मंत्रालय का दृष्टिकोण

    राज भवन के नाम बदलने का यह कदम केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल के तहत लिया गया है. पिछले साल राज्यपालों के सम्मेलन में उठाए गए मुद्दे को आधार बनाते हुए मंत्रालय ने यह फैसला लिया कि 'राज भवन' शब्द औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है. लिहाजा, अब राज्यपालों और उप-राज्यपालों के कार्यालयों को 'लोक भवन' और 'लोक निवास' के नाम से जाना जाएगा. यह कदम भारतीय लोकतंत्र की जड़ों और आम जनता से जुड़ाव को प्रदर्शित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

    देश के अन्य राज्यों में भी हुआ यह बदलाव

    हरियाणा अब देश का दसवां राज्य बन गया है, जिसने राज भवन का नाम बदलकर लोक भवन किया है. इससे पहले राजस्थान सहित 9 अन्य राज्यों ने अपने-अपने राज भवनों के नाम बदलकर 'लोक भवन' रखा है. इस बदलाव के पीछे का उद्देश्य सरकार और जन-समूह के बीच की दूरी को कम करना और यह संदेश देना है कि सत्ता का वास्तविक मालिक जनता है.

    लोक भवन नामकरण का उद्देश्य और महत्व

    लोक भवन नामकरण का उद्देश्य भारतीय शासन व्यवस्था को एक नई पहचान देना है, जो औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त हो और जनता के प्रति अधिक जवाबदेह हो. यह बदलाव न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि यह जनता को यह महसूस कराता है कि सरकारी संस्थान उनके सेवा के लिए हैं, न कि किसी शाही व्यवस्था का हिस्सा.

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