Nimisha Priya: यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को लेकर मंगलवार को एक बार फिर हलचल मच गई. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यमन सरकार ने उनकी मौत की सजा पलट दी है. लेकिन अब तक इस पर भारत या यमन की किसी भी आधिकारिक एजेंसी की ओर से पुष्टि नहीं की गई है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या वाकई निमिषा को राहत मिली है या फिर यह केवल अटकलें हैं?
16 जुलाई को तय थी निमिषा प्रिया की फांसी, लेकिन भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार की पहल पर यह फांसी स्थगित कर दी गई थी. उन्होंने यमन के धर्मगुरुओं से बातचीत कर मानवीय आधार पर फांसी को टालने का अनुरोध किया था. इसके बाद उनके कार्यालय ने यह दावा किया कि यमन सरकार ने निमिषा की मौत की सजा को पूरी तरह पलट दिया है. हालांकि, इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि न भारत की ओर से हुई, न यमन सरकार की ओर से. इसी वजह से अब यह दावा संदेह के घेरे में है.
सरकार अब तक मौन, पर प्रयास जारी
भारत सरकार लंबे समय से निमिषा के मामले में कूटनीतिक प्रयासों में जुटी है, लेकिन मंगलवार को सामने आए इन दावों पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. इससे साफ है कि फिलहाल निमिषा की स्थिति में कानूनी तौर पर कोई बदलाव नहीं हुआ है.
कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है पूरा मामला?
केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया साल 2008 में यमन गई थीं, जहां उन्होंने एक नर्स के रूप में कार्य किया. 2015 में उन्होंने यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक मेडिकल क्लीनिक की शुरुआत की. लेकिन कुछ वर्षों बाद दोनों के संबंधों में खटास आ गई.
2017 में महदी का शव एक वाटर टैंक में मिला, और आरोप है कि निमिषा ने उन्हें नींद की दवा का ओवरडोज़ देकर मार डाला. इसके एक महीने बाद उन्हें यमन-सऊदी बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया गया. 2020 में सना कोर्ट ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई. 2023 में यमन के सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा. फिलहाल, वह सना जेल में बंद हैं.
क्या है आगे की राह?
यह मामला मानवीय, कानूनी और कूटनीतिक सभी मोर्चों पर बेहद संवेदनशील बन चुका है. भारत सरकार के लिए यह चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यमन जैसे संकटग्रस्त देश में कानूनी राहत के रास्ते बेहद जटिल हैं. अगर यमन सरकार से क्षमा याचना या “ब्लड मनी” जैसे विकल्पों पर बातचीत होती है, तो संभव है कि निमिषा को जीवनदान मिल सके.
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