UP News: उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा में किसान केवल खेतों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब वे अधुनातन परियोजनाओं के मजबूत स्तंभ भी बन चुके हैं. इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, जिसे साकार करने में 22,029 किसानों की भूमिका निर्णायक रही. इन किसानों ने अपनी जमीन देकर इस परियोजना का रास्ता साफ किया और सरकार ने उनके इस योगदान को भरपूर सम्मान और आर्थिक सहयोग देकर ऐतिहासिक बना दिया.
विकास की रफ्तार को मिला नया ट्रैक
गोरखपुर से आजमगढ़ तक फैले 91.35 किलोमीटर लंबे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की कल्पना आज साकार हो चुकी है. यह एक्सप्रेसवे सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि पूर्वांचल के आर्थिक और औद्योगिक विकास का प्रवेशद्वार है. इसके लिए चार जिलों के 172 गांवों से कुल 1,148.77 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया.
किसानों को मिला भरपूर मुआवजा
इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शिता और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से अंजाम दिया गया. किसानों को उनकी जमीन के बदले 2030.29 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया, जिससे उनका विश्वास सरकार पर और मजबूत हुआ.
जिलेवार भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवरण:
गोरखपुर: 88 गांवों से 570.73 हेक्टेयर भूमि, 12,935 किसानों को ₹1248.28 करोड़
संतकबीरनगर: 4 गांवों से 20.91 हेक्टेयर भूमि, 422 किसानों को ₹15.26 करोड़
अंबेडकरनगर: 37 गांवों से 297.88 हेक्टेयर भूमि, 4,741 किसानों को ₹438.04 करोड़
आजमगढ़: 43 गांवों से 259.25 हेक्टेयर भूमि, 3,931 किसानों को ₹328.71 करोड़
सीएम योगी ने किया था किसानों का सम्मान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनवरी 2020 में गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) क्षेत्र में एक भव्य समारोह का आयोजन कर 500 किसानों को सम्मानित किया था. इसमें से 40 किसानों को मुख्यमंत्री ने स्वयं अपने हाथों से सम्मानित किया, यह किसानों के योगदान के प्रति राज्य सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है.
भूमि अधिग्रहण में नया मॉडल बना यूपी
जहां देश के कई हिस्सों में भूमि अधिग्रहण विरोध और आंदोलनों का कारण बनता है, वहीं उत्तर प्रदेश ने इसे सहयोग और संवाद के माध्यम से शांतिपूर्वक संपन्न कर एक उदाहरण पेश किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह स्पष्ट किया है कि किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि विकास के सच्चे भागीदार भी हैं.
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