'मोदी को बता देना...', आतंकियों ने पति को गोली मारने के बाद पत्नी से क्यों कहा था, सामने आई वजह

    Pahalgam Terror attack:  पहलगाम की वादियों में छुट्टियां बिताने आए पर्यटकों को शायद ही यह अंदाज़ा रहा होगा कि कश्मीर की खूबसूरती कुछ ही पलों में एक भयानक खौफ में बदल जाएगी. मंगलवार दोपहर, इस शांत जगह को गोलियों की आवाज़ ने चीर दिया.

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    Pahalgam Terror attack:  पहलगाम की वादियों में छुट्टियां बिताने आए पर्यटकों को शायद ही यह अंदाज़ा रहा होगा कि कश्मीर की खूबसूरती कुछ ही पलों में एक भयानक खौफ में बदल जाएगी. मंगलवार दोपहर, इस शांत जगह को गोलियों की आवाज़ ने चीर दिया. आतंकियों ने न सिर्फ निर्दोष पर्यटकों को मौत के घाट उतारा, बल्कि कई परिवारों को ऐसे ज़ख्म दिए, जो उम्रभर नहीं भर पाएंगे. इस हमले में कुल 26 लोगों की जान चली गई. लेकिन हर आंकड़ा एक इंसानी कहानी है—एक उजड़ा घर, एक टूटता बचपन, और एक जीवन साथी की आखिरी चीख.

    आतंकियों की आंखों में देखी दरिंदगी

    कर्नाटक की पल्लवी अपने पति रंजन और बेटे के साथ कश्मीर घूमने आई थीं. यह एक आम पारिवारिक यात्रा थी, जो हमेशा के लिए उनका जीवन बदल कर चली गई. मंगलवार दोपहर, वे बैसरन में घूम रहे थे, तभी अचानक गोलियों की आवाज़ गूंजी. उनके पति रंजन वहीं ढेर हो गए—पल्लवी की आंखों के सामने.

    घटना को याद करते हुए पल्लवी ने कहा, "मैंने उनसे कहा, आपने मुझे जीते जी मार दिया है, अब मुझे भी मार दो." लेकिन आतंकियों में से एक ने जवाब में कुछ ऐसा कहा, जिसने देशभर को सन्न कर दिया कि "जाओ तुम्हें जिंदा छोड़ा, जाकर मोदी को बता देना."

    इस बयान के पीछे क्या है मकसद?

    जब इसे लेकर सेना के पूर्व जनरल से सवाल किया गया तो रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने इस बारे में बताया कि इस तरह की बातें सिर्फ हिंसा का डर फैलाने के लिए नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश देने की कोशिश भी होती हैं. "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को एकजुट कर रहे हैं, देश विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है. धारा 370 हटाने और घाटी में हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास से आतंकी संगठनों की बौखलाहट साफ झलकती है." उनका मानना है कि आतंकियों ने जानबूझकर प्रधानमंत्री का नाम लिया, क्योंकि वे जानते हैं कि उनके हर कदम का अंतरराष्ट्रीय असर है. इसलिए उन्होंने किसी स्थानीय नेता या आर्मी की जगह सीधा प्रधानमंत्री को संदेश देने की बात की.

    एक खामोश सवाल: धर्म पूछकर की गई हत्या

    घटना के चश्मदीदों ने यह भी बताया कि हमलावरों ने सबसे पहले यह पूछा कि कौन किस धर्म का है. फिर एक-एक कर लोगों को गोली मार दी गई. यह सवाल न सिर्फ हमारी सामाजिक संरचना पर चोट करता है, बल्कि इस बात की भी याद दिलाता है कि आतंकवाद का मकसद सिर्फ जान लेना नहीं, बल्कि समाज को बांटना भी होता है.

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