गाजा में जारी युद्ध और उससे उपजे भीषण मानवीय संकट ने अब अंतरराष्ट्रीय दरवाज़े खटखटाने शुरू कर दिए हैं. फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भारत से उम्मीद जताई है कि वह इस मुश्किल घड़ी में फिलिस्तीनी जनता के लिए आवाज़ उठाएगा. भारत में फिलिस्तीन के राजदूत अब्दुल्ला एम. अबू शावेश ने बताया कि राष्ट्रपति अब्बास ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें गाजा में बिगड़ते हालात को लेकर भारत सरकार से मदद और हस्तक्षेप की अपील की गई है.
“भारत बोले, ताकि गाजा को राहत मिले”
राजदूत शावेश ने WION को दिए इंटरव्यू में कहा कि फिलिस्तीन, भारत को अपना पुराना और भरोसेमंद मित्र मानता है. उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “भारत के इजरायल के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि वह इन संबंधों का इस्तेमाल गाजा में मानवीय राहत पहुंचाने के लिए करेगा.” शावेश ने बताया कि फिलहाल गाजा में हालात बेहद गंभीर हैं — वहां भूख को युद्ध का हथियार बना दिया गया है. इजरायल और अमेरिका केवल बमबारी नहीं कर रहे, बल्कि खाद्य सामग्री और ज़रूरी सामानों की सप्लाई रोककर लोगों को तड़पने पर मजबूर कर रहे हैं.
भारत का ऐतिहासिक समर्थन
राजदूत ने याद दिलाया कि भारत हमेशा से संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फिलिस्तीन के साथ खड़ा रहा है. “फिलिस्तीनी जनता आज भारत की ओर देख रही है — एक ऐसे राष्ट्र की तरफ़ जो न सिर्फ लोकतांत्रिक है, बल्कि वैश्विक राजनीति में जिसकी आवाज़ सुनी जाती है.”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत से यह भी उम्मीद की जा रही है कि वह इजरायल से फिलिस्तीन की रोकी गई कर राशि (करीब 2 अरब डॉलर) को जल्द रिलीज़ करने की अपील करेगा. यह फंड फिलिस्तीन के प्रशासन और जनता की बुनियादी ज़रूरतों के लिए बेहद अहम है.
गाजा में भारत की छाप भी मिटाई जा रही है
शावेश ने बताया कि भारत ने वर्षों से गाजा और फिलिस्तीनी इलाकों में कई विकास कार्य किए हैं — जैसे कि गाजा में बना 'जवाहरलाल नेहरू पुस्तकालय' और अस्पताल. लेकिन उन्होंने दुख जताया कि इजरायली हमलों में ये संरचनाएं नष्ट हो चुकी हैं. फिर भी कुछ भारतीय परियोजनाएं अब भी सक्रिय हैं, खासकर वेस्ट बैंक में.
“भारत बड़ा है, उसकी आवाज़ और भी बड़ी हो सकती है”
राजदूत ने कहा, “भारत ब्रिक्स का संस्थापक है, उसका वैश्विक प्रभाव बहुत है. हम चाहते हैं कि भारत अब अपनी उस ताकत का इस्तेमाल फिलिस्तीनियों के लिए करे — ताकि नाकेबंदी हटे, भूखमरी खत्म हो और गाजा को जिंदा रहने का अधिकार मिले.”
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