गाजा में इजराइली कार्रवाई थमने का नाम नहीं ले रही है. लगातार हमलों और मानवीय संकट के बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है. दुनिया भर में युद्धविराम की मांग तेज़ हो चुकी है, वहीं खुद इजराइल के भीतर भी आम लोग सड़कों पर उतरकर युद्ध रोकने की मांग कर रहे हैं. इन सबके बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बार फिर अपने सैन्य अभियान को लेकर स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा है कि वे पीछे हटने वाले नहीं हैं.
मंगलवार को कैबिनेट बैठक से पहले प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सख्त लहजे में कहा, हम तब तक रुकेंगे नहीं, जब तक गाजा में हमारा दुश्मन पूरी तरह पराजित न हो जाए और हमारे सभी बंधक सुरक्षित रिहा न हो जाएं. नेतन्याहू ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य न केवल हमास का खात्मा है, बल्कि गाजा को भविष्य में इजराइल के लिए खतरा बनने से रोकना भी है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब युद्ध को लेकर खुद इजराइल में विरोध के सुर तेज़ हो रहे हैं.
रक्षा मंत्री यिसरायल काट्ज़ का भी स्पष्ट संकेत
प्रधानमंत्री के सुर में सुर मिलाते हुए इजराइल के रक्षा मंत्री यिसरायल काट्ज़ ने भी दो टूक कहा कि, हमास को खत्म करना और बंधकों को वापस लाना – यही दो मुख्य लक्ष्य हैं, जिन्हें हमें साथ-साथ पूरा करना होगा. गाजा दौरे पर पहुंचे रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सेना को हर हाल में राजनीतिक नेतृत्व के आदेशों का पालन करना होगा, भले ही सरकार के भीतर इस युद्ध के दायरे और दिशा को लेकर मतभेद क्यों न हों.
70% गाजा पर कब्जा, फिर भी अधूरा मकसद
इजराइली सेना अब तक गाजा पट्टी के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर चुकी है. यह अभियान 7 अक्टूबर 2023 को हमास के भयंकर हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसने पूरे क्षेत्र को हिंसा की आग में झोंक दिया. लेकिन नेतन्याहू का इरादा अब केवल मौजूदा स्थिति तक सीमित नहीं है. उनका संकेत साफ है. यदि कैदियों की अदला-बदली और युद्धविराम की कोशिशें सफल नहीं होतीं, तो इजराइल पूरे गाजा पर कब्जा करने के विकल्प को खुला रखेगा.
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच भी नहीं बदला इजराइल का रुख
हालात ऐसे हैं कि संयुक्त राष्ट्र समेत कई वैश्विक शक्तियाँ इजराइल से संयम बरतने और मानवीय राहत को प्राथमिकता देने की अपील कर रही हैं. फिर भी इजराइल की मौजूदा नेतृत्वशैली यही दर्शाती है कि जब तक घोषित लक्ष्य – हमास का अंत और बंधकों की वापसी – पूरी तरह से पूरे नहीं होते, तब तक इस अभियान को रोकने की संभावना बेहद कम है.
यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर में 22 मिनट नहीं टिक पाया और भारत को धमका रहा पाकिस्तान, INS विक्रांत बरसा तो फूल जाएंगे हाथ-पांव!