भारत-पाकिस्तान जंग की फर्जी खबरें, राफेल की बदनामी.... फ्रांसीसी खुफिया रिपोर्ट में चीन की चाल का खुलासा

    फ्रांस की सैन्य और खुफिया एजेंसियों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है — चीन अपने वैश्विक दूतावास नेटवर्क के जरिए फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल को बदनाम करने का संगठित अभियान चला रहा है.

    French intelligence report reveals Chinas ploy
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    पेरिस: फ्रांस की सैन्य और खुफिया एजेंसियों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है — चीन अपने वैश्विक दूतावास नेटवर्क के जरिए फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल को बदनाम करने का संगठित अभियान चला रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन जानबूझकर राफेल की क्षमताओं पर संदेह पैदा कर रहा है, खासकर उन देशों में जहां भारत की रक्षा साझेदारी मजबूत हो रही है और राफेल खरीद की संभावना बन रही है.

    भारत-पाक टकराव को बनाया बहाना

    राफेल विरोधी यह अभियान मई 2025 में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद और ज्यादा आक्रामक हो गया. उस दौरान भारत ने आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई करते हुए राफेल और अन्य लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था. इसके बाद पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के पांच विमानों को मार गिराया — जिनमें तीन राफेल भी शामिल थे.

    हालांकि, फ्रांसीसी वायुसेना प्रमुख जनरल जेरोम बेलेंजर ने इस दावे को ठुकराते हुए स्पष्ट किया कि भारत के तीन विमान जरूर गिरे, लेकिन उनमें सिर्फ एक राफेल शामिल था. इसके अलावा एक सुखोई और एक मिराज 2000 के नष्ट होने की पुष्टि हुई है.

    चीन की रणनीति: प्रचार, भ्रम और दबाव

    रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के डिफेंस अटैशे और राजनयिक अधिकारी, खासकर दक्षिण पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों में, उन देशों पर दबाव बना रहे हैं जो राफेल खरीदने पर विचार कर रहे हैं. इनमें प्रमुख नाम है इंडोनेशिया, जो फिलहाल फ्रांस के साथ राफेल डील के अंतिम दौर में है.

    चीन सिर्फ राफेल की आलोचना नहीं कर रहा, बल्कि अपनी लड़ाकू तकनीक को बेहतर बताकर आक्रामक मार्केटिंग रणनीति भी अपना रहा है — साफ शब्दों में कहें, तो ये रक्षा बाजार में प्रभुत्व की जंग है.

    सोशल मीडिया बना हथियार

    इस अभियान को डिजिटल मोर्चे पर भी तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है:

    • AI-जनित नकली तस्वीरें — जिनमें कथित रूप से राफेल का मलबा दिखाया जा रहा है
    • वीडियो गेम फुटेज — जिन्हें असली हवाई संघर्ष का रूप दिया गया
    • नकली समाचार रिपोर्ट्स — जो राफेल की "विफलताओं" को दिखाने का दावा करती हैं

    खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-पाक संघर्ष के बाद 1,000 से ज्यादा नए सोशल मीडिया अकाउंट्स बनाए गए, जिनका मुख्य उद्देश्य चीन के लड़ाकू विमानों को बेहतर और राफेल को कमजोर साबित करना था.

    हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि इस सोशल मीडिया अभियान के पीछे सीधे चीनी सरकार है या फिर वह इसे प्रॉक्सी नेटवर्क्स और "थिंक टैंक" के जरिए चला रही है.

    फ्रांस के लिए राफेल का क्या मतलब है?

    राफेल केवल एक फाइटर जेट नहीं है — यह फ्रांस की रक्षा कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का अहम स्तंभ है.

    हथियार निर्यात में बड़ा हिस्सा: फ्रांस की रक्षा बिक्री का एक बड़ा भाग राफेल और इससे जुड़े सिस्टम से आता है.

    वैश्विक साझेदारियों का सेतु: भारत, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ मजबूत रक्षा संबंध राफेल सौदों से ही संभव हुए हैं.

    एशिया में प्रभाव का माध्यम: जहां चीन तेजी से दबदबा बढ़ा रहा है, वहां राफेल सौदे फ्रांस को संतुलन बनाए रखने का अवसर देते हैं.

    यही कारण है कि चीन के दुष्प्रचार अभियान को रणनीतिक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, न कि केवल व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के तौर पर.

    फ्रांस का रुख: जवाबी रणनीति की तैयारी

    फ्रांस के सैन्य और कूटनीतिक हलकों में अब यह स्पष्ट हो गया है कि राफेल को लेकर खामोश रहना अब विकल्प नहीं है. रिपोर्ट्स के अनुसार, फ्रांसीसी एजेंसियां:

    • दुष्प्रचार की पहचान और खंडन के लिए साइबर निगरानी अभियान चला रही हैं
    • संभावित ग्राहकों को राफेल की प्रदर्शन रिपोर्ट्स और युद्ध रिकॉर्ड साझा कर रही हैं
    • सोशल मीडिया पर सत्यापन टीमों को सक्रिय कर रही हैं

    फ्रांसीसी अधिकारियों का मानना है कि यह सिर्फ एक उत्पाद की रक्षा नहीं, बल्कि फ्रांस की वैश्विक छवि और रणनीतिक गहराई की रक्षा है.

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