लंदन: भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर गुरुवार को आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर हो गए. लंदन में आयोजित एक संयुक्त समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक समझौते को अंतिम रूप दिया गया.
यह समझौता भारत और यूके के बीच तीन वर्षों से चल रही वार्ताओं का परिणाम है, और इसे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है.
समझौते के प्रमुख बिंदु: भारत को निर्यात पर बड़ी राहत
FTA के अंतर्गत भारत से ब्रिटेन को होने वाले 99% निर्यात पर अब या तो कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा या फिर उसे न्यूनतम कर दिया जाएगा. इससे भारतीय उत्पाद—विशेष रूप से टेक्सटाइल, फार्मा, जेम्स एंड ज्वेलरी, और फूड प्रोसेसिंग—को ब्रिटिश बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अवसर को “ऐतिहासिक” करार देते हुए कहा, “कई वर्षों की मेहनत के बाद यह समझौता संभव हुआ है. यह केवल आर्थिक साझेदारी नहीं, बल्कि हमारे साझा मूल्यों और भविष्य की दिशा को भी दर्शाता है.”
उन्होंने भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का जिक्र करते हुए हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, “जब भारत और यूके मिलते हैं, और वह भी टेस्ट सीरीज़ के दौरान, तो क्रिकेट की बात तो ज़रूरी है. दोनों देशों के लिए क्रिकेट महज़ एक खेल नहीं, बल्कि जुनून है. अब हम अपने रिश्तों में भी हाई स्कोरिंग पार्टनरशिप की ओर बढ़ रहे हैं.”
ब्रिटेन के लिए भी फायदे का सौदा
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने जानकारी दी कि FTA के तहत 70 हजार करोड़ रुपए के नए निवेश और व्यापारिक सौदों को मंज़ूरी दी गई है. उनके अनुसार, यह समझौता ब्रिटिश कंपनियों के लिए भी भारत जैसे उभरते हुए बड़े बाजार तक पहुंच को आसान बनाएगा.
भारत ने खास तौर पर व्हिस्की, ऑटोमोबाइल और उच्च तकनीक उत्पादों पर आयात शुल्क में बड़ी छूट देने का आश्वासन दिया है. उदाहरण के तौर पर, कुछ श्रेणियों पर टैरिफ को 15% से घटाकर 3% किया जाएगा, जिससे ब्रिटिश कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी.
व्यापार को पांच वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य
इस समझौते का प्राथमिक उद्देश्य दोनों देशों के बीच वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार को पांच वर्षों में लगभग दोगुना करना है. अनुमान है कि इससे द्विपक्षीय व्यापार का कुल मूल्य 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंच सकता है.
एफटीए जैसे समझौते न केवल आयात-निर्यात को सुगम बनाते हैं, बल्कि निवेश, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, और सेवा क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावनाओं को मजबूत करते हैं.
आर्थिक सहयोग का एक नया अध्याय
यह मुक्त व्यापार समझौता न केवल दोनों देशों की आर्थिक रणनीतियों को गति देगा, बल्कि यह इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक व्यापार साझेदारियों में एक मजबूत, विश्वसनीय और दूरदर्शी भूमिका निभा रहा है.
ब्रिटेन के लिए भी यह समझौता पोस्ट-ब्रेक्सिट व्यापार रणनीति के अंतर्गत एशियाई बाजारों से जुड़ाव बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
FTA: क्या होगा इसका असर?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी मुक्त व्यापार समझौता, दो देशों के बीच ऐसा समझौता होता है जिससे वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान पर टैक्स या ड्यूटी को कम किया जाता है या पूरी तरह समाप्त कर दिया जाता है. इससे कारोबार में बाधाएं घटती हैं और व्यापार में तेजी आती है.
भारत-यूके FTA के तहत:
यूके के उत्पाद होंगे भारत में किफायती
ब्रिटेन से आने वाली स्कॉच व्हिस्की और वाइन पर आयात शुल्क में कटौती से ये उत्पाद भारतीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे. इससे जहां उपभोक्ताओं को विकल्प मिलेंगे, वहीं घरेलू प्रीमियम अल्कोहल कंपनियों के लिए यह एक नई चुनौती बन सकती है. स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के CEO मार्क केंट ने इस समझौते को "एक पीढ़ी में एक बार होने वाला ऐतिहासिक अवसर" बताया है.
FTA से इन प्रमुख क्षेत्रों को मिल सकता है लाभ:
कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टि से अहम यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल द्विपक्षीय व्यापार की दिशा में एक कदम नहीं है, बल्कि यह भारत और ब्रिटेन के बीच गहराते रणनीतिक सहयोग का प्रतीक भी है. भारत की ओर से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस वार्ता में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, जिन्होंने पहले भी इस डील के विभिन्न दौरों में प्रतिनिधित्व किया है.
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