आज जहां अमेरिका के F-35 और चीन के J-20 जैसे फाइटर जेट्स को 5वीं पीढ़ी की तकनीक का प्रतीक माना जाता है, वहीं अब यूरोप ने एक और बड़ी छलांग लगाने की ठान ली है. जर्मनी, फ्रांस और स्पेन मिलकर फ्यूचर कॉम्बैट एयर सिस्टम (FCAS) नामक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जो दुनिया के पहले छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान को तैयार करेगा.
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का लक्ष्य न सिर्फ आधुनिक विमानों को रिप्लेस करना है, बल्कि वैश्विक रक्षा तकनीक में यूरोप को नेतृत्व की भूमिका में लाना भी है.
2040 तक यूरोपीय वायुसेनाओं में शामिल होगा अगली पीढ़ी का योद्धा
FCAS को 2040 तक यूरोपीय देशों की वायु सेनाओं में शामिल करने की योजना है. इसका उद्देश्य मौजूदा राफेल और यूरोफाइटर टायफून जैसे विमानों की जगह एक ऐसा हाई-टेक प्लेटफॉर्म लाना है, जो युद्ध के हर मोर्चे पर पारंपरिक विमानों से कहीं अधिक प्रभावशाली हो. इस परियोजना पर अनुमानित खर्च 100 अरब यूरो (10,000 अरब रुपए) से अधिक का होगा. प्रोजेक्ट में फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन, जर्मनी की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस, और स्पेन की इंदरा जैसी प्रमुख कंपनियां साझेदार हैं.
क्या होगा FCAS की ताकत का आधार?
यह सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं होगा, बल्कि यह एक संपूर्ण "एरियल वॉर इकोसिस्टम" की तरह काम करेगा, जो AI, ड्रोन, नेटवर्क और लेजर टेक्नोलॉजी से लैस होगा.
विशेषता विवरण
पहला प्रोटोटाइप कब तक?
FCAS का पहला डेमोंस्ट्रेटर प्रोटोटाइप 2029–2030 तक तैयार किया जाएगा. इसके बाद उड़ान परीक्षण और तकनीकी मूल्यांकन के दौर से गुजरते हुए यह 2035–2037 के बीच सीरियल प्रोडक्शन में प्रवेश करेगा. हालांकि फिलहाल फ्रांस और जर्मनी के बीच नेतृत्व और तकनीकी हिस्सेदारी को लेकर खींचतान जारी है. फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन प्रोजेक्ट में 80% नियंत्रण चाहती है, जबकि जर्मनी एयरबस को बराबर की भागीदारी देना चाहता है. दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने वर्ष के अंत तक इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेने का संकेत दिया है.
FCAS: सिर्फ जेट नहीं, युद्ध का नया चेहरा
FCAS परियोजना केवल एक लड़ाकू विमान विकसित करने की कोशिश नहीं है, यह भविष्य की लड़ाइयों को परिभाषित करने वाली तकनीक तैयार कर रही है. इस प्रोजेक्ट के सफल होने पर यूरोप न सिर्फ अमेरिका के F-35 या चीन के J-20 से मुकाबला करेगा, बल्कि उन्हें तकनीकी रूप से पीछे भी छोड़ सकता है.
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