वॉशिंगटन डीसी: अमेरिका की पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने एक अहम बयान में चेताया है कि डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां न सिर्फ अमेरिका के दशकों पुराने रणनीतिक प्रयासों को कमजोर कर रही हैं, बल्कि भारत जैसे अहम साझेदार को भी दूर कर रही हैं. CNN को दिए एक साक्षात्कार में बोल्टन ने साफ कहा कि टैरिफ लगाने की ट्रंप की रणनीति "भारी भूल" साबित हो सकती है, जिसके दीर्घकालिक दुष्परिणाम अमेरिका को भुगतने पड़ सकते हैं.
बोल्टन ने आशंका जताई कि रूस को कमजोर करने के उद्देश्य से भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ कहीं उल्टा असर न कर दें. उनका कहना है कि इस तरह के फैसलों से भारत को मजबूरन चीन और रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ानी पड़ सकती है, जो कि अमेरिका के हितों के खिलाफ है.
बोल्टन ने यह भी कहा कि भारत जैसे देश केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सुरक्षा के नजरिए से भी व्यापारिक संबंधों को देखते हैं. ऐसे में व्यापार और सुरक्षा को अलग-अलग देखने की अमेरिकी नीति भारत को भ्रमित और असहज कर रही है.
दोस्त और दुश्मन के साथ एक जैसा बर्ताव ठीक नहीं
बोल्टन पहले भी "द हिल" अखबार में एक लेख के माध्यम से यह विचार रख चुके हैं कि अमेरिका की मौजूदा टैरिफ नीति में मित्र देशों और प्रतिद्वंद्वियों के बीच फर्क नहीं किया जा रहा है. उनके अनुसार, चीन के मुकाबले भारत के प्रति कठोर रुख अपनाना एक रणनीतिक गलती है.
उन्होंने यह भी कहा कि "दोस्त और दुश्मन दोनों पर समान टैरिफ लगाने से अमेरिका का वैश्विक नेतृत्व और विश्वास कमजोर हुआ है." इसके बदले में अमेरिका को बहुत ही कम आर्थिक लाभ मिला है, लेकिन संभावित कूटनीतिक नुकसान काफी बड़ा है.
टैरिफ की वजह से बढ़ रही चीन-रूस-भारत की नजदीकी
भारत पर ट्रंप सरकार द्वारा लगाए गए नए टैरिफ का असर अब वैश्विक मंच पर भी दिखाई देने लगा है. चीन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका पर टैरिफ का "दुरुपयोग" करने का आरोप लगाया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने अमेरिका से तकनीकी और व्यापारिक मामलों का राजनीतिकरण बंद करने की अपील की है.
यह बयान तब आया जब ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर कर भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का आदेश दिया. इसकी मुख्य वजह भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद को बताया गया है.
भारत को लेकर ट्रंप का सख्त रुख
ट्रंप ने हाल ही में साफ तौर पर कहा कि जब तक टैरिफ से जुड़ा विवाद सुलझ नहीं जाता, तब तक भारत के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत नहीं की जाएगी. इससे पहले ट्रंप सरकार ने भारत पर 30 जुलाई को 25% टैरिफ लगाया था, जो 7 अगस्त से लागू हुआ. इसके बाद 6 अगस्त को एक और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए यह टैरिफ 50% तक पहुंचा दिया गया, जो 27 अगस्त से लागू होगा.
ट्रंप का दावा है कि टैरिफ से अमेरिका को रोजाना करोड़ों डॉलर की कमाई हो रही है और शेयर बाजार में लगातार रिकॉर्ड बन रहे हैं. उन्होंने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए कहा कि यदि किसी कोर्ट ने टैरिफ के खिलाफ फैसला सुनाया तो इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर 1929 जैसी महामंदी का खतरा मंडरा सकता है.
अमेरिका के भीतर भी ट्रंप की आलोचना
ट्रंप की इन नीतियों की अमेरिका के भीतर भी आलोचना हो रही है. हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के डेमोक्रेटिक सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने चेतावनी दी कि यह कदम भारत-अमेरिका के रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है. उनका कहना है कि भारत ऐसे फैसलों को लंबे समय तक याद रखेगा और भविष्य में अमेरिका पर विश्वास करना मुश्किल हो सकता है.
विदेश नीति विशेषज्ञ क्रिस्टोफर पैडिला ने भी चिंता जाहिर की कि इन टैरिफों से दोनों देशों के रिश्तों में दूरियां बढ़ सकती हैं. भारत जैसे देश के लिए रणनीतिक विश्वास बहुत अहम होता है और एक बार वह डगमगा गया तो उसे फिर से बनाना आसान नहीं होगा.
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