भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष विराम को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर नया विवाद खड़ा हो गया है. ट्रंप ने कहा था कि यह युद्धविराम अमेरिका की मध्यस्थता से संभव हुआ, लेकिन अब उनके ही पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने इस दावे को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया है.
बोल्टन बोले ट्रंप हर उपलब्धि का क्रेडिट लेना चाहते हैं. एएनआई से बातचीत के दौरान जॉन बोल्टन ने साफ शब्दों में कहा कि ट्रंप का यह दावा भारत के खिलाफ नहीं, बल्कि उनकी स्वभाविक शैली का हिस्सा है. उन्होंने कहा, कि ट्रंप हर चीज का श्रेय खुद लेना पसंद करते हैं. यह भारत के खिलाफ कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है. यह बस ट्रंप का तरीका है. बोल्टन ने यह भी जोड़ा कि भले ही ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, या विदेश मंत्री मार्को रुबियो से चर्चा की हो, लेकिन संघर्ष विराम का पूरा श्रेय लेना तथ्यों से परे है.
भारत-पाक युद्ध विराम और ऑपरेशन सिंदूर
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का ऐलान हुआ था, जिसमें जमीन, आकाश और समुद्र में सभी प्रकार की सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी. यह फैसला भारत द्वारा 7 मई को चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद सामने आया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के 9 आतंकी ठिकानों को भारतीय सेना ने नेस्तनाबूद किया.
#WATCH | Washington, DC: On President Donald Trump claiming credit for the ceasefire between India and Pakistan, former National Security Advisor of the United States, John Bolton says, "... It's nothing personal to India. This is Donald Trump, who takes credit for everything. I… pic.twitter.com/qVmZmzIK1N
— ANI (@ANI) May 21, 2025
ट्रंप का सोशल मीडिया दावा: अमेरिका ने कराया समझौता
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्लेटफॉर्म "टुथ" पर लिखा था कि अमेरिका की मध्यस्थता में रातभर चली बातचीत के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण संघर्ष विराम पर सहमति जताई है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ने व्यापारिक संबंधों का उपयोग कर इस समझौते को संभव बनाया और साथ ही कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश को दोहराया.
MEA ने ट्रंप के दावे को किया खारिज
भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के बयान को पूरी तरह से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और इस मुद्दे पर कोई तीसरा पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता. मंत्रालय ने कहा कि हमारी नीति स्पष्ट है. जम्मू-कश्मीर संबंधी सभी विषय भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से हल होंगे. इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच किसी भी वार्ता में व्यापार का कोई संदर्भ नहीं आया.
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