मौत का ऐसा तांडव, शव निकालते-निकालते सेना भी पस्त... अब तक सैकड़ों लोगों की गई जान, दुनिया में हड़कंप

    तबाही का असली चेहरा सामने तब आया जब शहर के पास बना एक पुराना बांध टूट गया. इस हादसे ने मिनटों में शहर को पानी के तेज़ बहाव में तब्दील कर दिया.

    Flooding due to dam break in Mokwa city of Nigeria
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    मोक्वा, जो कभी नाइजर राज्य का व्यावसायिक केंद्र हुआ करता था, अब बर्बादी की मिसाल बन चुका है. बीते दिनों लगातार मूसलाधार बारिश ने शहर को पहले ही डुबो दिया था, लेकिन तबाही का असली चेहरा सामने तब आया जब शहर के पास बना एक पुराना बांध टूट गया. इस हादसे ने मिनटों में शहर को पानी के तेज़ बहाव में तब्दील कर दिया. कई परिवारों को बाहर निकलने तक का समय नहीं मिल पाया.

    "मेरी आंखों के सामने बेटा बह गया…" – दर्द में डूबी मां की पुकार

    इस हादसे ने केवल जीवन नहीं छीने, बल्कि हज़ारों सपनों और रिश्तों को भी डुबो दिया. एक स्थानीय महिला की आंखों में आंसू और दिल में घाव था जब उसने बताया – "मेरे बेटे को बहते हुए देखा, लेकिन कुछ कर नहीं सकी."

    राजधानी मिन्ना से पहुंची राहत टीमें लगातार तलाश और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं. नाइजर स्टेट इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी (NSEMA) के प्रमुख हुसैनी ईसा ने बताया कि, “अब तक 88 शव बरामद किए जा चुके हैं और दर्जनों लोग अब भी लापता हैं.” खोजबीन जारी है, लेकिन कठिन भूगोल और पानी का स्तर राहत कार्यों में बाधा डाल रहा है.

    सैकड़ों परिवारों ने राहत कैंपों में ली शरण

    वर्तमान में सैकड़ों विस्थापित परिवार राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं. कुछ को अपने बच्चों, कुछ को अपने घर, और कुछ को पूरी दुनिया गंवानी पड़ी है. राहत कैंपों में अफरा-तफरी का माहौल है, और लोग किसी अपने की खबर का इंतजार कर रहे हैं.

    गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में भी नाइजीरिया इसी तरह की बाढ़ की मार झेल चुका है, जिसमें 30 लोग मारे गए थे और लाखों बेघर हो गए थे. लेकिन इस बार हालात और भी भयावह हैं. मोक्वा में जो दृश्य हैं, वे युद्ध क्षेत्र जैसे लगते हैं—बिखरे घर, टूटी सड़कें और लाशों की कतारें.

    बोको हराम की हिंसा से पहले ही संकट में था इलाका

    नाइजर और बेन्यू नदियों के आसपास का इलाका अक्सर बाढ़ का शिकार बनता है, लेकिन इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं है. बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों की हिंसा ने पहले ही यहां की जनसंख्या को संकट में डाल रखा है. अब इस प्राकृतिक आपदा ने उस मानवीय संकट को और गहरा कर दिया है.

    स्थानीय लोग और राहत कार्यकर्ता सरकार से तेज़ राहत और पुनर्वास कार्यों की मांग कर रहे हैं. इस त्रासदी ने देश की आपदा प्रबंधन तैयारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

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