मुजफ्फरपुर में ताबड़तोड़ फायरिंग, पैक्स अध्यक्ष के बेटे की गोली मारकर हत्या

    बिहार के मुजफ्फरपुर से एक बार फिर दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है. अपराधियों ने खुलेआम गोलियां बरसाकर पैक्स अध्यक्ष के बेटे संजय चौधरी की हत्या कर दी.

    Firing in Muzaffarpur PACS president son shot dead
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    बिहार के मुजफ्फरपुर से एक बार फिर दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है. अपराधियों ने खुलेआम गोलियां बरसाकर पैक्स अध्यक्ष के बेटे संजय चौधरी की हत्या कर दी. इस हमले में एक अन्य व्यक्ति गुड्डू सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया है, जिनका इलाज एक निजी अस्पताल में जारी है. घटना सदर थाना क्षेत्र के पताही जगन्नाथ स्थित एलपी शाही कॉलेज के पास की है.

    संजय चौधरी एक समाजसेवी थे और राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनकी मां पताही की पैक्स अध्यक्ष हैं, जबकि पत्नी पंचायत समिति सदस्य हैं.

    घात लगाए बैठे थे बाइक सवार

    जानकारी के मुताबिक, संजय चौधरी और गुड्डू सिंह बाइक से कहीं जा रहे थे, तभी पहले से घात लगाए बैठे बाइक सवार बदमाशों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. संजय को दो गोलियां लगीं, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई, जबकि गुड्डू को एक गोली लगी और वे गंभीर रूप से घायल हो गए.

    घटना के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. जैसे ही वारदात की खबर पुलिस को मिली, सदर थाना, एसडीपीओ, सिटी एसपी विश्वजीत दयाल और एसएसपी सुशील कुमार तुरंत मौके पर पहुंचे. एफएसएल टीम ने भी घटनास्थल की जांच शुरू कर दी है.

    दो महीने में दूसरी हत्या, सवालों के घेरे में कानून-व्यवस्था

    सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इसी परिवार के एक अन्य सदस्य राजकिशोर चौधरी उर्फ टुनटुन चौधरी की भी दो महीने पहले गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अब उनके चचेरे भाई संजय चौधरी की हत्या ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है.

    परिजनों का कहना है कि पुलिस पहले मामले में कार्रवाई करने में नाकाम रही, जिससे अपराधियों के हौसले और बुलंद हो गए. एक ही परिवार के दो सदस्यों की लगातार हत्या होने से लोग गुस्से में हैं और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं.

    जांच जारी, लेकिन डर कायम

    फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और इलाके में सघन छापेमारी चल रही है. लेकिन लोगों के मन में यह डर कायम है कि जब राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवार सुरक्षित नहीं, तो आम लोगों का क्या होगा?

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