International Film City in Noida: उत्तर प्रदेश सरकार युवाओं के लिए एक नई राह खोलने जा रही है. वो राह जो सीधा ग्लैमर, क्रिएटिविटी और रोजगार से जुड़ी है. यमुना एक्सप्रेसवे के पास प्रस्तावित इंटरनेशनल फिल्म सिटी अब केवल एक स्टूडियो कॉम्प्लेक्स नहीं होगी, बल्कि वहां एक अत्याधुनिक फिल्म इंस्टीट्यूट भी बनेगा, जहां यूपी के युवाओं को फिल्म और मीडिया की हर बारीकी सिखाई जाएगी. सबसे खास बात कि यहां सीखा हुआ हुनर यहीं पर काम आएगा. यानी जहां पढ़ाई होगी, वहीं रोजगार भी मिलेगा.
हुनरमंद बनेगा यूपी का युवा
इस फिल्म इंस्टीट्यूट में एक्टिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग, वीएफएक्स, एडिटिंग, कैमरा ऑपरेशन, मास कम्युनिकेशन, लाइटिंग और फैशन डिजाइनिंग जैसे कई रचनात्मक क्षेत्रों में कोर्स कराए जाएंगे. पहले चरण में इंस्टीट्यूट 3 लाख स्क्वायर फीट क्षेत्र में बनाया जाएगा, जिसमें वर्चुअल रियलिटी लैब, एडिटिंग स्टूडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग सेटअप और प्रीमियर हॉल जैसी सुविधाएं होंगी. यथार्थवादी ट्रेनिंग, असली सेट और लाइव प्रोजेक्ट्स यह कोई सपना नहीं, बल्कि इसी इंस्टीट्यूट की खास पहचान होगी. छात्रों को प्रोडक्शन हाउसों के साथ वर्कशॉप, इंटर्नशिप और गेस्ट लेक्चर के जरिए असल अनुभव मिलेगा.
रोजगार और रचनात्मकता का संगम
इस पूरी परियोजना को ‘बेव्यू भूटानी फिल्म सिटी प्रा. लि.’ कंपनी द्वारा विकसित किया जा रहा है, जिसमें बॉलीवुड निर्माता बोनी कपूर और भूटानी ग्रुप साझेदार हैं. यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) के सेक्टर-21 में बन रही इस फिल्म सिटी पर पहले चरण में करीब ₹1510 करोड़ खर्च किए जाएंगे. कंपनी के जीएम राजीव अरोड़ा के अनुसार, स्थानीय युवाओं को वरीयता दी जाएगी — क्योंकि जब ट्रेनिंग यहीं हो और टैलेंट घर का हो, तो सफलता भी घर लौटती है.
इंस्टीट्यूट में छात्रों के लिए छात्रावास, कैफेटेरिया, स्वास्थ्य सेवाएं और रचनात्मक गतिविधियों के लिए ओपन स्पेस भी उपलब्ध होंगे. फिल्म फेस्टिवल, प्रतियोगिताएं और प्रदर्शनियों के जरिए छात्रों को अपनी कला दिखाने का पूरा मौका मिलेगा.
एक नई पहचान की ओर कदम
यह फिल्म सिटी और इसके साथ खुलता यह इंस्टीट्यूट, न सिर्फ रोजगार के नए रास्ते खोलेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश को भारतीय फिल्म और मीडिया उद्योग के मानचित्र पर प्रमुख स्थान भी दिलाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही यह पहल नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना क्षेत्र को न केवल औद्योगिक बल्कि रचनात्मक ऊर्जा का भी केंद्र बना रही है.
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