रूसी हमले का खौफ, WORLD WAR 3 की तैयारी! यूरोप बनाएगा 'ड्रोन वॉल', €150 अरब होगा खर्च

    European Union Defense: यूरोप अब सिर्फ चेतावनी नहीं दे रहा, बल्कि कार्रवाई के मूड में है. रूस की तरफ से लगातार हो रही हवाई घुसपैठों और ड्रोन हमलों को अब यूरोपीय यूनियन (EU) खुलकर चुनौती देने जा रहा है.

    Fear of Russian attack World War 3 Europe to build a drone wall costing €150 billion
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    European Union Defense: यूरोप अब सिर्फ चेतावनी नहीं दे रहा, बल्कि कार्रवाई के मूड में है. रूस की तरफ से लगातार हो रही हवाई घुसपैठों और ड्रोन हमलों को अब यूरोपीय यूनियन (EU) खुलकर चुनौती देने जा रहा है. डेनमार्क ने सोमवार को 'ड्रोन वॉल' नामक एक हाईटेक रक्षा प्रोजेक्ट में शामिल होने की घोषणा की है, जिसके तहत पूरे पूर्वी यूरोप को हवाई हमलों से सुरक्षित किया जाएगा.

    डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने इसे अपने देश की सुरक्षा पर अब तक का सबसे बड़ा खतरा बताया. दरअसल, डेनमार्क के हवाई क्षेत्र में एक संदिग्ध रूसी ड्रोन देखा गया, जिसके बाद कोपेनहेगन और ओस्लो एयरपोर्ट कई घंटों तक बंद करने पड़े.

    कौन बना रहा है 'ड्रोन वॉल'?

    इस वॉल को केवल एक देश नहीं, बल्कि एस्टोनिया, लातविया, फिनलैंड, लिथुआनिया, पोलैंड, रोमानिया और बुल्गारिया जैसे आठ यूरोपीय देश मिलकर बना रहे हैं. शुक्रवार को इन देशों की हाई-लेवल मीटिंग होगी, जहां इस प्रोजेक्ट पर ठोस निर्णय लिया जाएगा.

    EU और NATO दोनों ही रूसी हवाई हमलों को रोकने के लिए रणनीतिक साझेदारी कर चुके हैं. हाल ही में पोलैंड में 19 रूसी ड्रोन घुसे, जिन्हें पोलिश सेना ने मार गिराया, वहीं एस्टोनिया में NATO के फाइटर जेट्स ने रूसी एयरक्राफ्ट को इंटरसेप्ट किया.

    क्या है 'ड्रोन वॉल' और कैसे करेगा काम?

    हालांकि 'ड्रोन वॉल' की तकनीकी जानकारी पूरी तरह उजागर नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह एक मल्टी-लेयर सुरक्षा प्रणाली होगी, जिसमें हाई-पावर रेडार सिस्टम, AI आधारित ट्रैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक जामिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. इस वॉल का मकसद किसी भी संदिग्ध ड्रोन या विमान को बॉर्डर तक पहुंचने से पहले ही पहचानना और नष्ट करना है.

    150 अरब यूरो का डिफेंस बजट, EU की बड़ी तैयारी

    EU ने इस रक्षा प्रोग्राम के लिए 150 अरब यूरो का बजट निर्धारित किया है, जिसमें से अकेले पोलैंड को 44 अरब यूरो दिए जाएंगे. इसका कारण यह है कि पोलैंड, NATO की पूर्वी दीवार पर सबसे मजबूत सैन्य ताकत है और यूक्रेन से सटा हुआ भी है. यह प्रोजेक्ट EU की आर्थिक शक्ति को अब सैन्य ताकत में बदलने का संकेत माना जा रहा है.

    क्या यूक्रेन के बाद लिथुआनिया या मोल्दोवा निशाने पर?

    रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि रूस का अगला निशाना लिथुआनिया, मोल्दोवा या एस्टोनिया जैसे छोटे, लेकिन रणनीतिक रूप से अहम देश हो सकते हैं. यही वजह है कि EU और NATO अब किसी खतरे का इंतज़ार नहीं करना चाहते. डेनमार्क की प्रधानमंत्री ने भी इस पैटर्न को 'चिंताजनक' और 'सुनियोजित' करार दिया, क्योंकि नॉर्वे, पोलैंड और रोमानिया में जो घटनाएं घटीं, वही अब डेनमार्क में भी दोहराई जा रही हैं.

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