West Bengal Hakimpuri Border Exodus: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का हकीमपुर बॉर्डर इन दिनों असामान्य हलचल का केंद्र बना हुआ है. भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे इस क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है. बक्से और बैग लेकर खड़े ये लोग बांग्लादेश लौटने की कोशिश में हैं. दावा किया जा रहा है कि ये सभी वे लोग हैं जो गैर-कानूनी तरीके से भारत में प्रवेश कर चुके थे और Special Summary Revision (SIR) की प्रक्रिया शुरू होते ही वापस जाने की कोशिश कर रहे हैं.
हालांकि, इनमें से कई लोग खुद को बांग्लादेशी या रोहिंग्या मानने से इनकार कर रहे हैं. जब उनसे उनके मूल स्थान या भारत में रहने की जानकारी पूछी जाती है, तो वे जवाब देने से बचते देखे गए.
बॉर्डर पर 200 से अधिक लोग, लेकिन कोई जवाब नहीं
शनिवार को एक टीवी चैनल की टीम जब हकीमपुर पहुंची, तो उन्होंने देखा कि वहां 200 से अधिक लोग चुपचाप बैठे हुए हैं. पत्रकारों के सवाल, भारत में कहाँ रहते थे? बांग्लादेश में घर कहाँ है?, के जवाब में ज़्यादातर लोग चुप्पी साधे रहे. कई लोगों ने चेहरा फेर लिया, कुछ सिर झुका कर बैठ गए, लेकिन किसी ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी.
पिछले कुछ दिनों में हकीमपुर, स्वरूपनगर, तराली और आसपास के क्षेत्रों में इसी तरह की भीड़ जुटी है. माना जा रहा है कि SIR की वजह से कई लोग देश छोड़कर वापस बांग्लादेश जाने का फैसला कर रहे हैं.
बॉर्डर पर पुशबैक प्रक्रिया जारी
हकीमपुर बॉर्डर पर पिछले कई दिनों से पुशबैक की प्रक्रिया चल रही है. शुक्रवार को कई लोगों को वापस भेजे जाने की तैयारी थी. इसी दौरान मीडिया कवरेज कर रही एक टीम के पत्रकार को धक्का देने की घटना भी सामने आई. घटना के अगले दिन भी स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं दिखा. लगभग 200 लोग बॉर्डर पर इंतजार करते रहे, हालांकि इस बार किसी ने पत्रकारों का विरोध नहीं किया.
SIR के कारण बढ़ी चिंता, BJP ने जारी किए वीडियो
SIR शुरू होने के बाद से ही राज्य के विभिन्न इलाकों में गैर-कानूनी प्रवासियों का मामला चर्चा में है. BJP ने कई वीडियो जारी किए हैं, जिनमें यह कहते हुए दिखाया गया कि SIR लागू होते ही गैर-कानूनी बांग्लादेशी घुसपैठिए बंगाल छोड़कर भाग रहे हैं.
बंगाल में इसे लेकर राजनीतिक माहौल भी काफी गर्म हो गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने SIR को लोगों के अधिकारों पर हमला बताया है और चुनाव आयोग को पत्र लिखकर प्रक्रिया स्थगित करने की मांग की है.
उत्तर बंगाल में भी वही स्थिति
उत्तर बंगाल के कई हिस्सों में ऐसी ही समस्याएं सामने आ रही हैं. सिलीगुड़ी के आसपास के क्षेत्रों में BLOs की रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले हैं जिनके नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं थे.
डाबग्राम की दो पंचायतों, फकदाईबाड़ी और मझाबाड़ी में ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक पाई गई है. आरोप है कि इनमें से कई लोग 2002 के बाद बांग्लादेश से आए और फिर दस्तावेज तैयार कर भारतीय नागरिकता का दावा करने लगे.
पहचान की जांच में उलझे लोग
BLOs का कहना है कि कई लोग पूछताछ में सही जानकारी नहीं दे पा रहे. कोई कहता है कि उनका रिश्तेदार असम में है, फिर कहता है बिहार में है. कई लोग अंततः यह कहते हुए सामने आए कि वे बांग्लादेश में रहते थे और 2002 के बाद भारत आए.
दो मतदाताओं ने यह स्वीकार भी किया कि वे 2002 के बाद भारत आए थे, यहां पढ़ाई की और फिर अपने काम-धंधे शुरू किए. एक युवक का कहना था कि वह 2004 में भारत आया था और उसके पास भारतीय वोटर कार्ड, आधार और PAN कार्ड भी हैं. SIR शुरू होने के बाद उसे डर है कि उसका नाम अब मतदाता सूची से हट सकता है.
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज
पूर्व तृणमूल नेता और पंचायत सदस्य सुधा सिंह चटर्जी ने आरोप लगाया कि BJP इन बांग्लादेशी प्रवासियों का पहले वोट के लिए इस्तेमाल करती रही है, और अब वही प्रक्रिया BJP के लिए भारी पड़ सकती है. दूसरी ओर, BJP का कहना है कि SIR के चलते अब वास्तविकता सामने आ रही है और गैर-कानूनी घुसपैठ का पर्दाफाश हो रहा है.
बंगाल में बढ़ी बेचैनी, बॉर्डर पर सख़्त निगरानी
हकीमपुर से लेकर उत्तर बंगाल तक बॉर्डर इलाके सुरक्षा बलों की तैनाती से भर गए हैं. BSF लगातार चौकसी बढ़ा रही है ताकि कोई भी अवैध रूप से सीमा पार न कर सके. स्थिति लगातार बदल रही है, और जैसे-जैसे SIR की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, बंगाल की राजनीति और सीमा क्षेत्रों में तनाव बढ़ने की आशंका है.
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