सना: यमन में चल रहे संघर्ष के बीच हूती विद्रोहियों और अमेरिकी सेनाओं के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि यदि हूती विद्रोही लाल सागर में जहाजों पर हमले बंद कर देते हैं, तो उन पर किए जा रहे हमले रोक दिए जाएंगे. लेकिन हालात बताते हैं कि हूती विद्रोही अमेरिका की कार्रवाई से बेखौफ नजर आ रहे हैं. अमेरिकी सेना 15 मार्च से लगातार यमन में हूती ठिकानों पर हवाई हमले कर रही है, लेकिन दो सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद विद्रोही अपने रुख पर कायम हैं.
हूती विद्रोहियों ने अपने हालिया बयान में दावा किया कि उन्होंने लाल सागर में अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बनाना जारी रखा है. इसके अलावा, उन्होंने इजरायल पर भी बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से हमले तेज कर दिए हैं. हालाँकि, इन हमलों से अब तक अमेरिका या इजरायल को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है.
संघर्ष और अमेरिका की रणनीति
अमेरिका द्वारा किए जा रहे 200 से अधिक हमलों के बावजूद, हूती विद्रोही अभी भी सक्रिय बने हुए हैं. अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि हूती विद्रोहियों पर की गई बमबारी से ईरान की रणनीतिक स्थिति कमजोर हुई है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के अनुसार, अमेरिकी कार्रवाई के कारण हूती विद्रोहियों के कुछ शीर्ष कमांडर मारे गए हैं. हालांकि, हूती विद्रोहियों ने इस दावे को खारिज किया है और अब तक अपने किसी भी नेता की मौत की पुष्टि नहीं की है.
हूती विद्रोहियों का पलटवार
ईरान की सरकारी मीडिया के अनुसार, 3 अप्रैल को हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में अमेरिकी युद्धपोतों पर क्रूज मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया, जिसमें विमानवाहक पोत यूएसएस हैरी एस ट्रूमैन भी शामिल था. हूती प्रवक्ता ने कहा कि यह हमला अमेरिकी हमलों का जवाब था.
इस बीच, यमन से मिली खबरों के अनुसार, संदिग्ध अमेरिकी हवाई हमले में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है. हूती विद्रोहियों की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अमेरिकी हमलों में अब तक 67 लोग मारे जा चुके हैं. ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के बीच हुई एक लीक हुई बातचीत से यह भी जानकारी मिली कि अमेरिकी हमलों का एक लक्ष्य हूती विद्रोहियों के मिसाइल बल का एक शीर्ष कमांडर था.
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