मालदीव में भारत के खिलाफ कौन-सा गेम खेल रहे खलीफा एर्दोगन? मिसाइल युद्धपोत और सैनिकों की तैनाती!

    हिंद महासागर में रणनीतिक गतिविधियां तेजी से बदल रही हैं, और इस बदलाव की एक बड़ी वजह बनकर उभरा है तुर्की.

    Erdogan against India in Maldives missile warships troops
    एर्दोगन | Photo: ANI

    हिंद महासागर में रणनीतिक गतिविधियां तेजी से बदल रही हैं, और इस बदलाव की एक बड़ी वजह बनकर उभरा है तुर्की. राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन के नेतृत्व में तुर्की न सिर्फ मुस्लिम देशों के नेतृत्व का सपना देख रहा है, बल्कि भारत के सामरिक प्रभाव क्षेत्र में भी अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटा है. इसी रणनीति के तहत अब तुर्की ने भारत के पड़ोसी और समुद्री सहयोगी मालदीव को एक फास्ट अटैक क्राफ्ट TCG वोल्कन (P-343) दान करने की घोषणा की है.

    यह युद्धपोत पहले से ही तुर्की के इस्तांबुल नेवल शिपयार्ड में रखरखाव और नवीनीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है. तुर्की के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, जून 2025 में इसे मालदीव को औपचारिक रूप से सौंपा जाएगा और जुलाई तक इसे मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) कोस्ट गार्ड में शामिल कर लिया जाएगा.

    बढ़ता सैन्य सहयोग

    यह सहयोग केवल युद्धपोत तक सीमित नहीं है. तुर्की और मालदीव के बीच रक्षा क्षेत्र में संबंध लगातार गहरे हो रहे हैं. वर्तमान में MNDF के 19 कर्मी तुर्की में युद्धपोत संचालन और सिम्युलेटर ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे हैं, जो 9 मई तक जारी रहेगी. इसके बाद तुर्की की नौसेना से विशेषज्ञ मालदीव पहुंचेंगे, ताकि इस जहाज का बेड़े में समुचित एकीकरण और संचालन सुनिश्चित किया जा सके.

    भारत के लिए संकेत

    मालदीव में भारत की भूमिका पहले से ही चर्चा का विषय रही है. 2023 में राष्ट्रपति बनने के बाद मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के सैनिकों की मौजूदगी पर सवाल उठाए थे — ये सैनिक भारत से उपहार में मिले हेलिकॉप्टर और विमानों के संचालन के लिए तैनात थे. हालाँकि, दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद सैनिकों की जगह भारतीय नागरिक कर्मचारियों की तैनाती पर सहमति बनी. अब, महज दो वर्षों के भीतर ही मुइज्जू सरकार ने तुर्की की नेवी के कर्मियों को देश में आमंत्रित कर लिया है.

    क्या है TCG वोल्कन?

    TCG वोल्कन, एक डोगन-क्लास फास्ट अटैक क्राफ्ट है, जिसे 1981 में तुर्की की नौसेना के लिए कमीशन किया गया था. यह जहाज जर्मन डिज़ाइन Lürssen Werft FPB-57 पर आधारित है और 58.1 मीटर लंबा है. इसका विस्थापन 436 टन है और यह 38 नॉट की गति तक पहुँचने में सक्षम है. मूल रूप से यह जहाज दो हार्पून एंटी-शिप मिसाइल, एक 76 मिमी नौसैनिक बंदूक और एक 35 मिमी एंटी-एयरक्राफ्ट बुर्ज से लैस था. हालांकि, भारत की सामरिक चिंताओं को देखते हुए संभावना है कि मिसाइल सिस्टम को डिलीवरी से पहले हटा लिया जाएगा.

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