Elon Musk British India: टेस्ला और स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क अक्सर अपने विवादित बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. इस बार उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक ऐसा पोस्ट लाइक और शेयर किया, जिसने भारत में जबरदस्त नाराजगी पैदा कर दी. मस्क ने एक ऐसे पोस्ट को समर्थन दिया, जिसमें दावा किया गया था कि ब्रिटिश कभी भारत पर शासन नहीं करते थे और भारत पर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को एक मिथक बताया गया.
इस पोस्ट में कहा गया कि “अगर भारतीय इंग्लैंड जाकर अंग्रेज बन सकते हैं, तो अंग्रेज भारत आकर भारतीय बन गए. इसलिए अंग्रेजों ने भारत पर शासन नहीं किया और ‘कॉलोनाइजेशन’ जैसी कोई चीज़ नहीं है.” मस्क ने इसे सोचते हुए इमोजी के साथ शेयर किया, जिससे यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गया और लाखों भारतीयों ने इसे कड़ा विरोध किया.
If Indians set foot in England and become English.
— Freedomain - with Stefan Molyneux, MA (@StefanMolyneux) October 2, 2025
Then the English who set foot in India became Indian.
Therefore the English did not rule India.
There is no such thing as ‘colonization.’
QED pic.twitter.com/xJzikIlFhc
भारतीय यूजर्स का जवाब, इतिहास से इनकार नहीं चलेगा
भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स ने मस्क को कड़ी फटकार लगाई और उनकी इस पोस्ट को इतिहास के साथ धोखा मानते हुए कई साक्ष्यों के साथ जवाब दिया. यूजर्स ने बताया कि ब्रिटिश शासन सिर्फ विदेश में रहना या प्रशासन चलाना नहीं था, बल्कि यह राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक गुलामी की कहानी थी. उन्होंने याद दिलाया कि ब्रिटिश राज के दौरान भारत में अकाल (1943), जालियांवाला बाग नरसंहार (1919), नमक कर कानून, जबरन कर वसूली और भारतीय उद्योगों को बर्बाद करने जैसे काले अध्याय हुए. एक यूजर ने लिखा कि “भारतीय इंग्लैंड जाकर अंग्रेजों की तरह संसाधन नहीं लूटते, लेकिन अंग्रेज भारत में अमानवीय अत्याचार और शोषण करते थे.” दूसरे ने इसे “कॉलोनियल गिल्ट को सफेद धोने” की साजिश बताया. वहीं तीसरे यूजर ने साफ कहा कि “अगर ब्रिटेन को भारतीयों को वापस भेजना है, तो उसे अपना लूटा हुआ खजाना, कला और करोड़ों लोगों की कीमत भी चुकानी होगी.”
मस्क के पुराने विवाद, इतिहास तोड़ने का आरोप
यह पहली बार नहीं है जब एलन मस्क इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के आरोपों में फंसे हों. पिछले साल उन्होंने विवादित बयान दिया था कि ब्रिटिश साम्राज्य ने दुनिया में गुलामी खत्म की, जिस पर उन्हें विश्व स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा. मस्क के ऐसे बयानों ने उनकी छवि को विवादित बना दिया है. भारतीयों के लिए यह स्पष्ट संदेश था कि इतिहास को विकृत करना और उपनिवेशवाद के जघन्य अपराधों को कम आंकना स्वीकार्य नहीं है.
संघर्ष और बलिदान की कहानी को न भूलें
सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स ने जोर देकर कहा कि भारत की आज़ादी केवल 15 अगस्त 1947 की तारीख तक सीमित नहीं है. यह 200 साल के अत्याचार, संघर्ष, बलिदान और साहस की कहानी है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नमक कर विरोध, जालियांवाला बाग नरसंहार, रौलट एक्ट और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई अन्य ऐतिहासिक घटनाक्रम भारत के गौरवशाली अतीत के अभिन्न अंग हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करना भारत की जनता का अपमान है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा.
क्यों है मस्क का बयान खतरनाक?
ब्रिटिश राज ने भारत को केवल आर्थिक रूप से लूटा ही नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे को भी तहस-नहस किया. नमक कर जैसे अन्यायपूर्ण कानूनों ने गरीबों की पीड़ा बढ़ाई. जालियांवाला बाग में निर्दोष लोगों की हत्या ने पूरी दुनिया को सिखाया कि ब्रिटिश शासन कितना क्रूर था. रौलट एक्ट ने लोगों की आवाज़ दबाने का एक जाल बिछाया. मस्क के इस पोस्ट द्वारा इन इतिहासिक सच्चाइयों को नकारना, उपनिवेशवाद के अपराधों को मामूली साबित करने की कोशिश जैसा है, जो कि न सिर्फ गलत है बल्कि संवेदनशील भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है.
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