जमीन घोटाले से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को झारखंड और बिहार के 16 अलग-अलग स्थानों पर रेड की. इनमें कई कंस्ट्रक्शन कंपनियों और उनसे जुड़े व्यक्तियों के दफ्तर और आवास शामिल हैं. जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका के चलते की है.
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, यह मामला साल 2022 में सामने आए उस विवाद से जुड़ा है, जिसमें वन विभाग की 74.38 एकड़ जमीन को अवैध तरीके से एक निजी कंपनी को सौंपने का आरोप लगा था. उस वक्त बोकारो के वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने इस अनियमितता की शिकायत उत्तरी छोटानागपुर के आयुक्त से की थी. उन्होंने बताया था कि कुछ अधिकारियों ने महेंद्र मिश्रा नामक व्यक्ति की मात्र 10 डिसमिल ज़मीन के कागज़ात में फर्जीवाड़ा कर उसे 74.38 एकड़ दिखा दिया.
इस केस में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, इसमें कई नाम सामने आए. महेंद्र मिश्रा ने इस धोखाधड़ी की जानकारी मिलने पर इजहार हुसैन, अख्तर हुसैन, रहमत हुसैन, ललन सिंह और शैलेश सिंह के खिलाफ अदालत में मामला दर्ज कराया. वहीं, सेक्टर 12 थाने में वन विभाग की ओर से एक एफआईआर भी दर्ज करवाई गई.
ED ने ECIR दर्ज कर शुरू की जांच
अब सीआईडी और ईडी दोनों इस मामले की जांच कर रहे हैं. ईडी ने इस केस में ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू की है और मंगलवार को की गई छापेमारी इसी की एक कड़ी है. ईडी अब इस बात की पड़ताल कर रही है कि इस पूरे घोटाले से किसे फायदा हुआ, और उस पैसे का इस्तेमाल किन उद्देश्यों के लिए किया गया. ईडी को शक है कि कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने या तो इस घोटाले में प्रत्यक्ष भूमिका निभाई या फिर इसमें शामिल लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाया.
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