ED Arrest Javed Ahmed: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज एक सख्त कदम उठाते हुए अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया. यह कार्रवाई दिल्ली में अल फलाह ग्रुप से जुड़े विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी के दौरान जुटाए गए सबूतों और जानकारियों के आधार पर की गई. ईडी की जांच की शुरुआत दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज दो FIRs से हुई थी.
जांच में यह सामने आया कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने NAAC मान्यता होने का झूठा दावा किया और यूजीसी के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता मिलने का भ्रम फैलाया. इसका उद्देश्य छात्रों, अभिभावकों और आम जनता को गुमराह कर आर्थिक लाभ उठाना था. यूजीसी ने साफ किया है कि विश्वविद्यालय केवल सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में सूचीबद्ध है और उसने कभी भी 12(B) के तहत मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया.
Directorate of Enforcement (ED), has arrested Jawad Ahmed Siddiqui, Chairman of Al Falah group, under Section 19 of the Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002. The arrest took place today following a detailed investigation and analysis of evidence gathered during search…
— ANI (@ANI) November 18, 2025
ट्रस्ट और वित्तीय नियंत्रण
अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 8 सितंबर 1995 में हुई थी. जावेद अहमद सिद्दीकी शुरुआत से ही ट्रस्टी रहे और पूरे ग्रुप के फैसलों पर उनका नियंत्रण रहा. विश्वविद्यालय और उससे जुड़े सभी कॉलेज इसी ट्रस्ट के अंतर्गत आते हैं. 1990 के दशक से ट्रस्ट और ग्रुप ने तेज़ी से विस्तार किया, लेकिन उनकी आय और वास्तविक वित्तीय क्षमता में भारी अंतर पाया गया.
छापेमारी में क्या मिला?
दिल्ली में आज 19 जगहों पर छापेमारी की गई. इसमें विश्वविद्यालय, ट्रस्ट से जुड़े लोगों के घर और अन्य ठिकाने शामिल थे. छापेमारी के दौरान 48 लाख रुपये से अधिक कैश, डिजिटल डिवाइस, महत्वपूर्ण दस्तावेज और कई शेल कंपनियों के सबूत मिले.
जांच में यह भी सामने आया कि ट्रस्ट के पैसों को परिवार की कंपनियों में डायवर्ट किया गया. निर्माण और कैटरिंग के ठेके जावेद सिद्दीकी की पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए गए. पैसों की लेयरिंग, गलत लेन-देन और अन्य वित्तीय नियमों का उल्लंघन भी पाया गया.
गिरफ्तारी का कारण
ED का कहना है कि जावेद अहमद सिद्दीकी ने ट्रस्ट और उसके वित्तीय फैसलों को व्यक्तिगत रूप से नियंत्रित किया. जांच में मिले सबूत बताते हैं कि उन्होंने अपराध से अर्जित पैसों को छिपाया और विभिन्न तरीकों से स्थानांतरित किया. इन सबूतों के आधार पर, कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया.
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