Shigeru Ishiba resignation: जापान की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब सत्तारूढ़ गठबंधन संसद के ऊपरी सदन में बहुमत खो चुका है, जो कि 1955 के बाद पहली बार हुआ है.
इस घटनाक्रम ने न केवल जापानी राजनीति को झकझोर दिया है, बल्कि लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के भीतर भी उथल-पुथल तेज कर दी है.
आखिर क्यों दिया इशिबा ने इस्तीफा?
- संसदीय बहुमत का टूटना- यह इशिबा की सरकार की वैधानिकता पर बड़ा सवाल बन गया था.
- LDP के भीतर गुटबाजी और असंतोष- पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने आ रहे थे.
- राजनीतिक घोटाले और फंडिंग विवाद- इशिबा सरकार को लगातार पॉलिटिकल फंडिंग में अनियमितताओं को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.
- जनता का असंतोष- बढ़ती महंगाई, धीमी आर्थिक सुधार और रोजगार संकट जैसे मुद्दों पर सरकार की नीतियां विफल मानी जा रही थीं.
इन्हीं परिस्थितियों में इशिबा ने अपने पद से हटने का फैसला लिया, ताकि पार्टी में और विभाजन न हो और राजनीतिक स्थिरता किसी हद तक बनी रहे.
अब आगे क्या? कौन संभालेगा कमान?
इशिबा के हटते ही LDP में उत्तराधिकार की लड़ाई छिड़ गई है. अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. हालांकि, पार्टी के अंदर से कुछ नामों पर चर्चा ज़रूर तेज़ हो गई है:
- तारो कोनो- पूर्व विदेश मंत्री, जिन्हें युवा मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है.
- योशीहिदे सुगा- पूर्व प्रधानमंत्री, जो प्रशासनिक अनुभव रखते हैं.
- सेईको नोडा- पार्टी में सुधारवादी चेहरा मानी जाती हैं.
अगर पार्टी समय रहते किसी नेता पर सहमति नहीं बना पाती, तो देश में राजनीतिक अस्थिरता और गहरा सकती है.
जापान के लिए क्या होंगे इसके असर?
- अर्थव्यवस्था पर प्रभाव- निवेशकों के बीच अनिश्चितता बढ़ सकती है. शेयर बाजार पर भी असर देखा जा सकता है.
- विदेश नीति पर असर- जापान की अमेरिका, चीन और कोरियाई देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी पर असर पड़ सकता है.
- नई पार्टियों का उभार- दक्षिणपंथी दल और क्षेत्रीय पार्टियां इस राजनीतिक शून्य का फायदा उठा सकती हैं.
शिगेरु इशिबा: एक नज़र में
- पद संभालने की तारीख: अक्टूबर 2024
- किसे succeed किया: फुमियो किशिदा
- प्रमुख चुनौतियां: महंगाई, बेरोज़गारी, पार्टी में कलह, फंडिंग विवाद
- मुख्य उपलब्धि: मजबूत रक्षा नीति और तकनीकी निवेश को बढ़ावा
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