GST स्लैब में बदलाव से मिडिल क्लास का ये सपना होगा पूरा! 7.8 लाख रुपये तक बचत की संभावना

    GST New Reforms: अगर आप इस दिवाली अपना खुद का घर खरीदने का सपना देख रहे हैं, तो आपके लिए एक राहत भरी खबर है. केंद्र सरकार जीएसटी ढांचे में बड़ा बदलाव करने जा रही है, जिसका सीधा असर रियल एस्टेट पर पड़ने की उम्मीद है.

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    GST New Reforms: अगर आप इस दिवाली अपना खुद का घर खरीदने का सपना देख रहे हैं, तो आपके लिए एक राहत भरी खबर है. केंद्र सरकार जीएसटी ढांचे में बड़ा बदलाव करने जा रही है, जिसका सीधा असर रियल एस्टेट पर पड़ने की उम्मीद है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर इशारा किया था कि देश के जटिल जीएसटी सिस्टम को अब आसान और प्रभावी बनाया जाएगा.

    अब तक चार अलग-अलग टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) में बांटे गए उत्पादों और सेवाओं को अब सिर्फ दो स्लैब में लाया जाएगा, 5% और 18%. इसके अलावा, लग्ज़री और नशे से जुड़ी वस्तुओं के लिए 40% का एक नया टैक्स ब्रैकेट बनाने की योजना है. 3 और 4 सितंबर को दिल्ली में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है.

    रियल एस्टेट को मिलेगा सबसे बड़ा फायदा

    इस बदलाव से सबसे ज़्यादा राहत रियल एस्टेट सेक्टर और घर खरीदने वालों को मिलने वाली है. आज के समय में निर्माण कार्य में लगने वाले सामान जैसे सीमेंट, स्टील, टाइल्स, पेंट आदि पर 18% से 28% तक टैक्स लगता है, जिससे घर की कुल लागत काफी बढ़ जाती है.

    अगर इन मटेरियल्स को 18% टैक्स स्लैब में लाया जाता है, तो अनुमान है कि प्रति स्क्वायर फीट लागत में 150 रुपये तक की कमी हो सकती है. यानी अगर आप 1000 स्क्वायर फीट का फ्लैट खरीदते हैं, तो आपको 1.5 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है.

    घर की कीमतों को महंगा बनाता है टैक्स का बोझ

    आज की तारीख में जब आप कोई अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट खरीदते हैं (45 लाख रुपये से ऊपर), तो उस पर 5% जीएसटी लगता है. अफोर्डेबल हाउसिंग (45 लाख रुपये तक) पर 1% टैक्स लिया जाता है. रेडी-टू-मूव फ्लैट पर कोई टैक्स नहीं है. लेकिन असली समस्या वहां है, जहां डेवलपर को निर्माण सामग्री पर भारी टैक्स चुकाना पड़ता है.

    सीमेंट पर 28%, टाइल्स और पेंट पर 18-28% और स्टील पर 18% टैक्स लगता है. 2019 से इन टैक्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) नहीं मिलता. यानी जो टैक्स बिल्डर भरता है, वह रिफंड नहीं हो सकता. इसलिए यह बोझ सीधे-सीधे फ्लैट की कीमत में जुड़ जाता है.

    मान लीजिए किसी फ्लैट की निर्माण लागत 25 लाख रुपये है, और औसतन 20% टैक्स बिल्डिंग मैटीरियल पर लगता है, तो करीब 5 लाख रुपये का टैक्स सीधा ग्राहक के सिर पर आ जाता है.

    नई टैक्स व्यवस्था से कितनी राहत?

    अगर नए प्रस्तावित जीएसटी ढांचे को लागू कर दिया गया, तो घर खरीदने वालों को बेशक फायदा होगा. अनुमान के मुताबिक, 1000 स्क्वायर फीट पर करीब 1.5 लाख रुपये की बचत, 1500 स्क्वायर फीट पर 2.25 लाख रुपये, 2500 स्क्वायर फीट पर: 3.75 लाख रुपये, 5000 स्क्वायर फीट तक की प्रॉपर्टी पर 7.5 लाख रुपये तक की राहत संभव है. यह राहत खासकर मिड-सेगमेंट और अफोर्डेबल हाउसिंग वालों के लिए बहुत बड़ी साबित हो सकती है.

    एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

    रियल एस्टेट से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव काफी समय से ज़रूरी था. होमग्राम के संस्थापक गौरव सोबती के अनुसार, फिलहाल निर्माण में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों पर जो टैक्स लगता है, वह न केवल अधिक है बल्कि ITC नहीं मिलने से डेवलपर को इसकी भरपाई ग्राहकों से करनी पड़ती है. अगर सीमेंट और अन्य सामानों पर टैक्स घटाया जाता है, तो निर्माण की लागत कम होगी, और डेवलपर को फ्लैट की कीमत को अधिक बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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