नई दिल्लीः डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन कथित रूप से भारत से अमेरिकी हथियारों की अधिक खरीदारी करने का दबाव बना रहा है. कहा जा रहा है कि सोमवार को हुई बातचीत में ट्रंप ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को संतुलित करने की इच्छा व्यक्त की, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि वह भारत को हथियार क्यों बेचना चाहते हैं.
ट्रंप के प्लान में क्या गोलमाल है?
इसका कारण समझने के लिए हमें अमेरिकी राष्ट्रपति के आर्थिक उद्देश्य को देखना होगा. अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, लेकिन भारत का अमेरिका के साथ व्यापार में अधिशेष (surplus) एक बड़ा मुद्दा है. सीधे शब्दों में कहें तो भारत अमेरिका को अधिक निर्यात करता है, जबकि कम आयात करता है. ट्रंप, जो अन्य देशों के साथ व्यापार में असंतुलन पर अक्सर आवाज उठाते रहे हैं, इस अंतर को पाटने के लिए भारत को अमेरिकी हथियार बेचने के इच्छुक हैं.
पिछले वित्तीय वर्ष में भारत ने अमेरिका को 35 बिलियन डॉलर से अधिक का माल निर्यात किया, जो उसके द्वारा आयातित माल की कीमत से अधिक है. बाइडेन प्रशासन के तहत, द्विपक्षीय व्यापार में भारी वृद्धि हुई है, और कई रिपोर्टों में यह कहा गया है कि अमेरिका अब भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार बन गया है, जिसने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है. सोमवार रात को एक फोन कॉल के दौरान ट्रंप ने मोदी के साथ इस मुद्दे को उठाया, व्यापारिक असंतुलन को दूर करने और भारत को अमेरिकी रक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाने पर जोर दिया.
Delighted to speak with my dear friend President @realDonaldTrump @POTUS. Congratulated him on his historic second term. We are committed to a mutually beneficial and trusted partnership. We will work together for the welfare of our people and towards global peace, prosperity,…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 27, 2025
फरवरी में अमेरिका जाएंगे मोदी?
व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक बयान में पुष्टि की गई है कि ट्रंप ने मोदी से इन मुद्दों पर चर्चा की और दोनों देशों के बीच एक निष्पक्ष व्यापारिक रिश्ते के निर्माण करने पर जोर दिया. इन दबावों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार रात सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप को "प्रिय मित्र" के रूप में संबोधित किया, और बाद में ट्रंप ने यह कहा कि मोदी फरवरी में व्हाइट हाउस का दौरा करेंगे.
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