Who is sergio gore: जब भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में तल्ख़ी चरम पर हो, तब एक नई नियुक्ति कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा सकती है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वह सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का अगला राजदूत और साथ ही दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के विशेष दूत के रूप में नियुक्त करने जा रहे हैं. यह घोषणा ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ सोशल' के ज़रिए की.
ट्रंप ने कहा कि इस रणनीतिक क्षेत्र के लिए उन्हें ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जिस पर वह पूरी तरह भरोसा कर सकें. उनका साफ़ संदेश था कि सर्जियो गोर न केवल उनका करीबी हैं, बल्कि वह उनके एजेंडे को आगे बढ़ाने में पूरी तरह सक्षम भी हैं. उन्होंने लिखा, “सर्जियो मेरे लंबे समय से मित्र हैं, जिन्होंने मेरे अभियानों, किताबों और आंदोलन को समर्थन दिया है. मुझे उन पर पूरा विश्वास है.”
कौन हैं सर्जियो गोर?
सर्जियो गोर कोई आम राजनयिक चेहरा नहीं हैं. वह ट्रंप के पुराने साथी रहे हैं, जो उनके राजनीतिक अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं. वे ट्रंप की किताबों के प्रकाशन और उनके समर्थक सुपर PAC (Political Action Committee) को भी संभालते रहे हैं. वर्तमान में वे व्हाइट हाउस में प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस के निदेशक के तौर पर कार्यरत हैं. अब उन्हें राजदूत के साथ-साथ विशेष दूत की दोहरी जिम्मेदारी मिलने जा रही है, बशर्ते सीनेट से मंजूरी मिल जाए.
ऐसे समय में हुई घोषणा जब भारत-अमेरिका रिश्ते हैं तनावपूर्ण
इस नियुक्ति की टाइमिंग भी कम दिलचस्प नहीं है. ट्रंप का यह फैसला ऐसे समय आया है, जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर टकराव चल रहा है. अमेरिका ने हाल ही में भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था, जिसे अब बढ़ाकर 50% करने की योजना बनाई जा रही है. ट्रंप ने इसे रूस से भारत द्वारा सस्ता तेल खरीदने की "सज़ा" बताया है.
भारत पर अमेरिका की नाराज़गी
ट्रंप प्रशासन और उनके सहयोगियों का कहना है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान सस्ते तेल का लाभ उठाकर लाभ कमा रहा है, जबकि यह अमेरिका और उसके सहयोगियों की रणनीति के विपरीत है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी हाल ही में भारत के रवैये को "अस्वीकार्य" कहा था. हैरानी की बात यह है कि रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाले चीन के खिलाफ ट्रंप ने अब तक ऐसा कोई टैरिफ नहीं लगाया है, जो इस पूरे मसले को और भी संवेदनशील बना देता है.
टूटती व्यापार वार्ताएं और 190 अरब डॉलर का दांव
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार का आकार 190 अरब डॉलर से अधिक का है. लेकिन कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर असहमति के चलते दोनों देशों के बीच टैरिफ वार्ता टूट चुकी है. ऐसे में सर्जियो गोर की नियुक्ति को सिर्फ राजनयिक कदम नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है.
क्या सर्जियो गोर बदल पाएंगे समीकरण?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप के करीबी सर्जियो गोर भारत में अमेरिका की छवि और नीतियों को किस तरह पेश करते हैं. क्या वे भारत के साथ तनाव कम कर पाएंगे, या फिर ट्रंप के सख्त रुख को और तेज़ी से आगे बढ़ाएंगे?
एक ओर जहां यह नियुक्ति भारत-अमेरिका रिश्तों को नया मोड़ दे सकती है, वहीं यह संकेत भी देती है कि आने वाले महीनों में यह द्विपक्षीय रिश्ता और ज्यादा राजनीतिक रूप से गर्म हो सकता है.
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