वाशिंगटनः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर यह आरोप अक्सर लगता रहा है कि उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा कारोबार है — चाहे इसके लिए उन्हें किन्हीं भी देशों से हाथ मिलाना पड़े, फिर चाहे वे भारत के विरोधी ही क्यों न हों. ताजा घटनाक्रमों में यह बात एक बार फिर सामने आई है, जब ट्रंप के पुराने सहयोगी और उनके बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के कॉलेज के मित्र जेंट्री बीच ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की का दौरा किया और बड़े-बड़े व्यापारिक सौदों पर बातचीत की.
पाकिस्तान में अरबों डॉलर के संसाधनों की तलाश
जनवरी 2025 में जेंट्री बीच पाकिस्तान पहुंचे, जहां खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उनका स्वागत किया. इस मुलाकात में पाकिस्तान के वित्त और विदेश मामलों के मंत्री भी मौजूद थे. इसके बाद फरवरी में दुबई में हुए वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट के दौरान उनकी शहबाज शरीफ से दोबारा मुलाकात हुई. जेंट्री ने न केवल इन मुलाकातों की जानकारी ट्रंप को दी, बल्कि पाकिस्तान को ‘अद्भुत जगह’ भी बताया — हालांकि उनका इशारा वहां की संस्कृति से ज़्यादा वहां छिपे अरबों डॉलर के मिनरल्स पर था.
बांग्लादेश और तुर्की में भी समझौते
पाकिस्तान के बाद, जेंट्री बीच 29 जनवरी को बांग्लादेश पहुंचे, जहां उन्होंने वरिष्ठ सलाहकार मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की. बातचीत में तेल, गैस, रक्षा और रियल एस्टेट में निवेश के प्रस्ताव शामिल थे. इसके बाद उन्होंने तुर्की का रुख किया और वहां तेरा होल्डिंग ग्रुप के साथ तेल और खनन में संयुक्त उपक्रम के लिए समझौते किए.
पार्श्व में आतंकी साजिशें और ट्रंप की चुप्पी
जिस समय ये दौरे और सौदे चल रहे थे, उसी दौरान पाकिस्तान की धरती पर पहलगाम हमलों की योजना बनाई जा रही थी, जो 22 अप्रैल को सामने आया. यह चिंता की बात है कि ऐसे समय में भी अमेरिकी राजनीति से जुड़े लोग पाकिस्तान जैसे देशों में बड़े आर्थिक हित देख रहे हैं, जहां आतंकवाद अब भी एक बड़ी समस्या बना हुआ है.
क्रिप्टो डील्स और गोल्फ डिप्लोमैसी
इतना ही नहीं, ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी वाली एक क्रिप्टो करेंसी कंपनी ने पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल से एक बड़ा सौदा किया. इस मिशन पर ट्रंप के गोल्फ साथी स्टीव के बेटे जैचरी विटकॉफ समेत कई प्रतिनिधि पाकिस्तान गए और प्रधानमंत्री शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात की.
पिछले रिश्तों पर विवाद की परछाईं
जेंट्री बीच का ट्रंप से रिश्ता नया नहीं है. 2016 के अमेरिकी चुनावों में उन्होंने ट्रंप के लिए बड़ी फंडिंग जुटाई थी. ‘द गार्डियन’ की 2018 की रिपोर्ट में भी उन पर आरोप लगे थे कि वे व्हाइट हाउस के प्रभाव का व्यापारिक हितों के लिए दुरुपयोग करते रहे हैं.
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